अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने 27 फरवरी 2024 को अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को 7 वें वेतनमान का लाभ देने से इंकार कर दिया है। सुनवाई के बाद के प्राध्यापकों के पक्ष में हाइकोर्ट का राहतभरा आदेश जारी हुआ है।
चार माह में 25 फीसदी एरियर का भुगतान करने का आदेश
मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने फैसला देते हुए सरकार से 31 मार्च 2000 के पहले नियुक्त प्राध्यापकों को 1 जनवरी 2016 से प्रभावी 7 वें वेतनमान के अनुसार वेतन देने का आदेश दिया। एकलपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में एरियर व अन्य लाभ प्रदान करने को भी कहा है। याचिकाकर्ताओं को आगामी चार माह में 25 फीसदी एरियर का भुगतान करने का आदेश दिया। इसके साथ ही सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को भी शेष एरियर्स का भुगतान आगामी 9 माह में करने को कहा। कोर्ट ने कहा है कि सेवारत प्राध्यापकों को एरियर्स का भुगतान आगामी 12 माह में करना होगा। तय अवधि में एरियर्स नहीं देने पर 6 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी। मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी व डॉ. शैलेश जैन ने ये याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने 27 फरवरी 2024 को अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय के प्राध्यापकों को 7 वें वेतनमान का लाभ प्रदान करने से इंकार कर दिया। इसके खिलाफ पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर कोर्ट ने 7 वें वेतनमान का लाभ प्रदान करने का आदेश दिया था। सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिका दायर की गई थी। इसके बाद सरकार ने उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की जिसे खारिज किया गया।