मृतकों की पहचान पिल्लूर निवासी विनोद मड्डे (32 वर्ष), जो कोंडापड़गु प्राथमिक शाला में पदस्थ थे, और सुरेश मेटा (28 वर्ष), जो टेकमेटा प्राथमिक शाला में पदस्थ थे, के रूप में हुई है। शुक्रवार सुबह दोनों के शव गांव के पास जंगल में फेंके हुए बरामद हुए।
CG Naxal Attack: ग्रामीणों ने बताई सच्चाई
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, रात करीब 10 बजे हथियारबंद नक्सली आए और दोनों शिक्षकों को जबरदस्ती घर से बाहर ले गए। कुछ ही घंटों के भीतर उनकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। लोग डर के कारण अपने घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। हालांकि, पुलिस की ओर से अब तक इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, और न ही किसी एफआईआर की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि भय के चलते ग्रामीण पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं।
शिक्षा के दीप जलाने वाले शिक्षादूत, अब शहीद।
विनोद मड्डे और सुरेश मेटा, दोनों ही शिक्षादूत योजना के तहत नक्सल प्रभावित बंद स्कूलों को फिर से शुरू करने की मुहिम में लगे थे। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कुछ समय पहले जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव में पहुचे उस दौरान इन शिक्षादूतों की सराहना भी की थी, जो विषम हालात में भी बच्चों को शिक्षा देने के कार्य में जुटे थे। और इनका सम्मान भी किया था। इन शिक्षकों को राज्य सरकार की ओर से 10,000 से 12,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है। जिले में इस समय लगभग 350 शिक्षादूत कार्यरत हैं, जो दुर्गम इलाकों में जाकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।
विनोद के दो मासूम बच्चे, सुरेश अविवाहित।
शहीद हुए शिक्षादूत विनोद मड्डे के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, जबकि सुरेश मेटा अब तक अविवाहित थे। उनके परिवारजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पिल्लूर और टेकमेटा गांव में मातम छाया हुआ है। गांववाले इस क्रूर घटना से सदमे में हैं और लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि अभी जनाकारी मिल रही है नेशनल पार्क के दो शिक्षादूतों की हत्या की गई है, पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। शिक्षा पर हमला, मानवता पर चोट
नक्सलियों का यह हमला सिर्फ दो शिक्षकों की हत्या नहीं, बल्कि शिक्षा और विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर सीधा हमला है। नक्सल हिंसा के शिकार हुए ये दोनों शिक्षक दूरस्थ इलाकों में शिक्षा का उजियारा फैलाने का कार्य कर रहे थे।