भारत ने दिन देशों के साथ की FTA डील, उनमें से 71% के साथ हुआ व्यापार घाटा, उधर ड्राई फ्रूट्स पोर्ट पर क्यों है अटके?
Free Trade Agreement: भारत ने अब तक 7 प्रमुख मुक्त व्यापार समझौते किये हैं। इनमें से 5 फ्री-ट्रेड पार्टनर्स के साथ भारत को व्यापार घाटा हो रहा है। अब यूपोपीयन यूनियन ने भारत के साथ एफटीए को लेकर बातचीत तेज कर दी है।
भारत को कई एफटीए पार्टनर्स के साथ व्यापार घाटा हो रहा है। (PC: Pixabay)
भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द ही होने की उम्मीद है और वॉशिंगटन में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच 5वें दौर की बातचीत चल रही है। इस बीच यूरोपियन यूनियन (EU) ने भारत के साथ फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की वार्ता को तेज कर दिया है, ताकि अमेरिका की ओर से ईयू पर लगाए गए 30 फीसदी के भारी टैरिफ के असर को कम किया जा सके। वहीं, भारत का अपने एफटीए पार्टनर्स के साथ व्यापार घाटा चिंता का विषय है। भारत का जिन देशों-समूहों के साथ एफटीए है या बातचीत चल रही है, उनमें से 71 फीसदी के साथ भारत का व्यापार घाटा है।
भारत ने अब तक 7 प्रमुख मुक्त व्यापार समझौते किए हैं। जब से ये समझौते प्रभावी हुए हैं, तब से इनमें से 5 फ्री-ट्रेड पार्टनर्स के साथ देश व्यापार घाटे का सामना कर रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में इन भागीदारों का भारत के कुल व्यापार घाटे में लगभग 37 फीसदी का योगदान रहा। भारत ने वर्ष 2021 से अब तक मॉरीशस, यूएई, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) और ऑस्ट्रेलिया के साथ नए व्यापार समझौते किए हैं। तब से यूएई के साथ ट्रेड डेफिसिट 16.8 अरब डॉलर से बढक़र 26.8 अरब डॉलर हो गया है। इसी तरह 10 दक्षिण एशियाई देशों के समूह आसियान के साथ व्यापार घाटा वर्ष 2018-19 के 21.8 अरब डॉलर से दोगुना होकर 45.2 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि, एफटीए के बाद भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ ट्रेड डेफिसिट घटा है।
जून में कम हुआ व्यापार घाटा
सर्विस सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन से देश का ट्रेड डेफिसिट जून 2025 में घटकर 18.78 अरब डॉलर हो गया, जो मई में 21.88 अरब डॉलर था। जून में भारत का एक्सपोर्ट 35.14 अरब डॉलर पर स्थिर रहा, जो पिछले साल जून में 35.16 अरब डॉलर के बराबर है। वहीं, इंपोर्ट में 3.71 फीसदी की कमी आई और यह 56 अरब डॉलर से घटकर 53.92 अरब डॉलर हो गया। जून में सर्विस ट्रेड में 15.62 अरब डॉलर का सरप्लस दर्ज किया गया। सर्विस एक्सपोर्ट 32.84 अरब डॉलर रहा। सर्विस इंपोर्ट 17.58 अरब डॉलर पर रहा।
अमेरिकी ड्राई फ्रूट्स का आयात अटका
सूखे मेवों के भारतीय आयातक अमरीकी अखरोट और बादाम की कस्टम क्लीयरेंस में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। वे मौजूदा ऊंची आयात शुल्क चुकाने के बजाय पेनल्टी देना पसंद कर रहे हैं। आयातक यह कदम दोनों देशों के बीच चल रहे महत्वपूर्ण व्यापार सौदे से भारी शुल्क कटौती (संभावित रूप से 50 फीसदी तक) की उम्मीद से उठा रहे हैं। अभी भारत अमरीकी अखरोट पर 100 फीसदी और बादाम पर विशेष आयात शुल्क लगाता है। आयातक आने वाले व्यापार समझौते पर दांव लगा रहे हैं, जिससे इन शुल्कों में भारी कमी आने की संभावना है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इन लोकप्रिय सूखे मेवों की खेप बंदरगाहों पर रुकी हुई है।
‘मांसाहारी दूध’ ट्रेड डील में बाधा?
अमेरिका भारत को कृषि उत्पादों के साथ डेयरी प्रोडक्ट निर्यात करना चाहता है, जबकि भारत सरकार को इस पर आपत्ति है। इसी वजह से दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता टल रहा है। अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट में शामिल ‘मांसाहारी दूध’ भी चर्चा में है। दावा किया जा रहा है कि भारत को खासकर इसके आयात पर आपत्ति है। अमरीका ने डेयरी और कृषि पर भारत के कठोर रुख को व्यापार समझौते की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक करार दिया है। भारत में डेयरी प्रोडक्ट न केवल पीने-खाने के रूप में बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों में भी इस्तेमाल होते हैं।
क्या होता है ‘मांसाहारी दूध’?
अमेरिका से आने वाले दूध को ‘मांसाहारी दूध’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वहां गायों को चारे में नॉन-वेज प्रोडक्ट खिलाया जाता है।अमेरिकी दैनिक अखबार ‘द सिएटल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका में गायों को अभी भी ऐसा चारा खिलाया जा सकता है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते मांस से बने उत्पाद मिले होते हैं। मवेशियों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए उनके आहार में सूअर और घोड़े का खून भी शामिल किया जाता है। इनका वजन बढ़ाने के लिए दूसरे जानवरों से निकाली गई चर्बी भी चारे में मिलाई जाती है।
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