7th pay scale में कुछ अलाउंस नए कर्मचारियों के लिए अलग ढंग से मिलेंगे। Patrika
8th Pay Commission में देरी केंद्रीय कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ा रही है। क्योंकि आयोग की सिफारिशें आने के बाद इसे मंजूरी मिलने में जितनी देरी होगी, कर्मचारियों को उतना ज्यादा नुकसान होगा। 7वें वेतन आयोग की बात करें तो इसके क्रियान्वयन की तारीख से 18 महीने बाद मंजूरी मिली, जिससे Level 1 के केंद्रीय कर्मचारी को भत्तों में हजारों रुपये का नुकसान हुआ था। ठीक वैसी ही देर अब 8वें वेतन आयोग में भी नजर आ रही है। और अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर कर्मचारियों को भत्तों के मामले में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
साल 2014 में 7वें वेतन आयोग की घोषणा हुई थी और इसे जनवरी 2016 से लागू माना गया। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके तहत विभिन्न भत्तों (Allowances) को जुलाई 2017 में जाकर मंजूरी मिली यानी पूरे 18 महीने बाद। इस देरी के कारण कर्मचारियों को House Rent Allowance (HRA), Transport Allowance (TA) और अन्य भत्तों का बकाया नहीं मिला। यानी जनवरी 2016 से लेकर जून 2017 तक के बीच जो बढ़े हुए भत्ते मिलने चाहिए थे, वे सीधे काट दिए गए। सरकार ने इस बकाये के भुगतान की मंजूरी नहीं दी, जिससे लाखों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था।
देखें कैलकुलेशन
1- 6th Pay Commission न्यूनतम बेसिक – 7000 रुपये महीना House Rent Allowance – 2100 रुपये महीना Transport Allowance – 600 रुपये महीना HRA+TA = 2700 रुपये महीना 2- 7th Pay Commission न्यूनतम बेसिक – 18000 रुपये महीना House Rent Allowance – 5400 रुपये महीना Transport Allowance – 1350 रुपये महीना HRA+TA = 6750 रुपये महीना
18 महीने में कितना नुकसान हुआ
7वें वेतन आयोग को मंजूरी इसके क्रियान्वयन की तारीख के 18 महीने बाद मिली थी। इस दौरान भत्तों का बकाया नहीं मिला। सिर्फ HRA और TA की बात करें तो 18 हजार रुपये न्यूनतम बेसिक पाने वाले कर्मचारी को छठे से 7वें वेतन आयोग का इंक्रीमेंट मिलने में करीब 72900 रुपये का नुकसान हुआ।
क्या 8वें वेतन आयोग के साथ भी दोहराया जाएगा इतिहास?
अब जबकि 2025 आधा गुजर चुका है लेकिन 8वें वेतन आयोग की Terms of References (ToR) तक तय नहीं हुए हैं। इन्हीं ToR पर आयोग काम करता है, जिसके बिना इसकी सिफारिशें आगे नहीं बढ़ सकतीं। इसमें देरी का मतलब है कि रिपोर्ट तैयार करने और सरकार द्वारा उसे लागू करने की प्रक्रिया में भी जरूरत से ज्यादा समय लगेगा। ऑल इंडिया अकाउंट्स कमेटी के महामंत्री एचएस तिवारी बताते हैं कि 8वें पे कमीशन की सिफारिशें आने में डेढ़ साल का समय लगेगा और उसके बाद सरकार को उसे मंजूरी देने में 7 से 8 महीने लग जाएंगे।
किन लोगों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
इस देरी का असर सिर्फ कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि 44 लाख से ज्यादा लोगों पर पड़ेगा, जिनमें केंद्रीय कर्मचारी के अलावा सेना, रेल, डाक, गृह मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों में कार्यरत कर्मी शामिल हैं। भारत की कुल कार्यशील आबादी में केंद्रीय कर्मचारी सिर्फ 0.7% हैं, लेकिन फॉर्मल सेक्टर का 9% इन्हीं से बनता है। यानी यह तबका न केवल संख्या में अहम है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी काफी प्रभावशाली है।
क्या दांव पर है?
अगर समय पर लागू हुआ तो 8वें वेतन आयोग से 30% से 40% तक सैलरी बढ़ सकती है। लेकिन अगर 7वें वेतन आयोग जैसी देरी हुई तो: 1- भत्तों का बकाया फिर से नहीं मिलेगा
2- आर्थिक नुकसान होगा 3- कर्मचारियों के मनाेेेबल और विश्वास को झटका लगेगा
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