अभी ऐसी स्थिति
अभी कृषि भूमि का सिर्फ ऑनलाइन डायवर्जन कर प्लॉटिंग कर दी जाती है। बिना किसी मंजूरी के प्लॉट या मकान का विक्रय हो जाता है। अपेक्षाकृत सस्ती दरों में मिलने से लोग इन्हें खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में जब मंजूरियों की कमी से सरकारी सुविधाएं यहां तक नहीं पहुंचती तो फिर रहवासी परेशान होते हैं। नारकीय जीवन जीने को मजबूर होते हैं।
ऐसे समझें अवैध कॉलोनी का गणित
—30 लाख से अधिक आबादी जिले में —600 अवैध कॉलोनियां (Illegal Colony) अघोषित तौर पर है —388 स्लम क्षेत्र है शहर में —300 अवैध कॉलोनियां चिन्हित है। —05 लाख से अधिक आबादी रहती है अवैध कॉलोनी व स्लम क्षेत्रों में —
78 अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई करने कलेक्टर ने जारी किए हुए हैं आदेश
क्या है रेरा एक्ट
एक मई 2017 से
प्रदेश में रेरा एक्ट लागू हुआ। इसके तहत व्यवसायिक उपयोग के लिए प्लॉट- मकान, दुकान की खरीदी बिक्री के लिए रेरा पंजीयन (RERA Registration) कराना जरूरी है। रेरा पंजीयन के लिए 28 तरह के दस्तावेज की जरूरत होती है। इसमें टीएंडसीपी से लेकर नगर निगम और अन्य विभागों की एनओसी, मंजूरियों से लेकर कॉलोनी विकसित करने वाले से जुड़े व जमीन से जुड़े दस्तावेज चाहिए। इसकी मॉनीटरिंग होती है। यानि इसमें धोखाधड़ी की स्थिति नहीं के बराबर होती है। रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र बिल लाया था, जिसके बाद राज्य शासन ने नियम बनाकर लागू किया है।
ये होगा असर
रेरा पंजीयन रजिस्ट्री (Property Registry) में जरूरी करने अब अवैध कॉलोनी के प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी। रजिस्ट्री के लिए रेरा का नंबर मांगा जाएगा जो नहीं होगा तो, लोग अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों के चंगुल में नहीं फंसेंगे। अभी भोपाल में 300 से अधिक अवैध कॉलोनियां चिन्हित हैं। 100 के करीब नई विकसित हो रही है। अवैध कॉलोनी और 388 स्लम क्षेत्रों में करीब पांच लाख लोग रहते हैं। रजिस्ट्री में आधार अनिवार्य
पंजीयन ने रजिस्ट्री में आधार अनिवार्य किया है। रजिस्ट्री में रेरा पंजीयन अनिवार्य होने से लाभ मिलेगा। शासन स्तर से ही ये तय किया जाएगा।
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