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भरतपुर

राजस्थान में 400 करोड़ ठगी का खुलासा: नदी में फेंके सबूत, पत्नी ने ऐसे दिया साथ, विदेशी पार्टनर भी शामिल

पुलिस ने 400 करोड़ की साइबर ठगी के मास्टरमाइंड रोहित दुबे को मिर्जापुर से दबोचा है। आरोपी अपनी पत्नी के वाई-फाई से गैंग चलाता था। कबोडिया से जुड़े विदेशी साथी और 25 फर्जी कंपनियां बनाई थी। 7 बार कबोडिया जाने का भी खुलासा हुआ है।

भरतपुरJul 16, 2025 / 02:35 pm

Arvind Rao

Bharatpur 400 crore fraud exposed

400 करोड़ ठगी मामले में आरोपी गिरफ्तार (फोटो- पत्रिका)

भरतपुर: साइबर थाना धौलपुर में दर्ज हुए ठगी के मामले में पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने 400 करोड़ रुपए की ठगी के मास्टरमाइंड को मिर्जापुर से गिरफ्तार किया है। आरोपी ने पुलिस के पहुंचने से पहले ही अपना लैपटॉप और फोन नदी में फेंक दिया। ठग न तो सिम यूज करता था और न ही सोशल मीडिया पर उसका अकाउंट था। आरोपी अपनी पत्नी के वाई-फाई से गैंग को निर्देश देता था।

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पुलिस महानिरीक्षक राहुल प्रकाश ने बताया कि पूछताछ में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। ठगी के इस खेल में विदेशी पार्टनर भी शामिल बताए गए हैं। ठगी का खेल कबोडिया से संचालित होना सामने आ रहा है। पकड़ा गया आरोपी रोहित दुबे (28) पुत्र शरद दुबे बरोदा कचार रामचंद्र शुक्ल पार्क के सामने तहसील सदर थाना कटरा कोतवाली मिर्जापुर उत्तर प्रदेश हाल फर्स्ट क्रॉस एचएसआर ले-आउट सेक्टर सात बेंगलुरु (कर्नाटक) का निवासी है।


टेलीग्राम से चला रहा था गैंग


रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि 400 करोड़ रुपए की ठगी के मामले में अब तक 6 आरोपियों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। हाल ही में ठग गैंग के मास्टरमाइंड रोहित दुबे को यूपी के मिर्जापुर से गिरफ्तार किया है। वह अपनी पत्नी के साथ रह रहा था।

ठग रोहित अपनी पत्नी के मोबाइल के वाई-फाई से टेलीग्राम को यूज कर रहा था। यह अपना खुद का मोबाइल नंबर और सोशल मीडिया साइट्स यूज नहीं कर रहा था। पुलिस ने इंटेलिजेंस के आधार पर इसे गिरफ्त में लिया है।


बेंगलुरु में बनाया मुख्यालय


आईजी ने बताया कि आरोपी रोहित और शशिकांत ने मिलकर एबुंडेंस पेमेंट सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी खोली थी, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु कर्नाटक में बनाया था। इस कंपनी का रोहित डाइरेक्टर है और टेक्निकल काम देखता है।
रोहित ने पूछताछ में बताया कि उसने और शशिकांत सिंह ने फरवरी 2024 में एबुंडेंस पेमेंट सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड खोली थी।
ये लोग कंपनी मर्चेंट से सीधे संपर्क नहीं करते थे। रोहित ने बताया कि ऑन बोर्डिंग का सभी काम रिसेलर के माध्यम से करते हैं। कंपनी के पास लगभग 25 मर्चेंट हैं। इनमें से अधिकतर कंपनियों का नियंत्रण (पे-इन और पे-आउट) तक हमारे पास रहता है। लोगों से ऑनलाइन गेमिंग और निवेश का झांसा देकर ठगी करते थे।


यह था पूरा मामला


आईजी ने बताया कि 6 मार्च 2025 को साइबर थाना धौलपुर पर हरि सिंह नाम के व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर-1930 डायल कर फिनो पेमेंट बैंक के खाते के खिलाफ साइबर फ्रॉड की शिकायत दी थी। शिकायत के विश्लेषण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस खाते के विरुद्ध 3 हजार शिकायत थीं, जो अब बढ़कर करीब 4 हजार से अधिक हो गई हैं।

पुलिस ने इसके बाद 8 मई की रात रविंद्र सिंह (54) पुत्र त्रिलोकी नाथ सिंह बलिया यूपी, दिनेश सिंह (49) पुत्र दीनानाथ बलिया यूपी और उसकी पत्नी कुमकुम (38) को दिल्ली के मोहन गार्डन से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 30 मई को देवेंद्र को गिरफ्तार किया गया। देवेंद्र 28 लाख का पैकेज का छोड़कर साइबर फ्रॉड के काम लगा था। वह एमबीए किया हुआ है। अब 15 जुलाई को यूपी के मिर्जापुर से मास्टरमाइंड रोहित दुबे को गिरतार किया गया है। दूसरा ठग शशिकांत अब भी फरार है।


कबोडिया में हैं आरोपी के साथी


आईजी के अनुसार रोहित ने पूछताछ में बताया है कि पुलिस के आने से पहले उसने अपने लैपटॉप और मोबाइल को नदी में फेंक दिया, जिसकी जांच की जा रही है। उम्मीद है कि उन्हें हम बरामद करने में सफल होंगे। रोहित और शशिकांत ने करीब 25 कंपनियां फर्जी डाइरेक्टर बनाकर खोली थीं, जिसमें से 16 कंपनियां प्रथम दृष्टया फर्जी निकली हैं।

पूछताछ में आरोपी ने बताया कि 16 कंपनियों के माध्यम से आरोपी साइबर फ्रॉड कर ठगी के पैसों को दूसरी कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर कर रहे थे। आरोपियों के विदेश पार्टनर भी हैं। उन्हें आरोपी टेक्निकल टीम कहते हैं। वह कबोडिया से ऑपरेट कर रहे हैं।


7 बार कबोडिया गए आरोपी


आईजी ने बताया कि पूछताछ में सामने आया कि गिरतार किया गया रोहित और फरार चल रहा शशिकांत पूरे साइबर फ्रॉड को हैंडल करते थे। दोनों ही अपने गैंग के लोगों को सिम लाकर देते थे और ठगी की प्लानिंग करते थे। दोनों आरोपी करीब 7 बार कबोडिया गए। एक-दो बार टीम के दूसरे भी लोगों को कबोडिया भेजा गया।

हालांकि , उन्हें इस फ्रॉड में ज्यादा शामिल नहीं किया गया। यह आरोपी विदेशी साइबर ठगों के संपर्क में थे। टेलीग्राम के ग्रुप पर वह लोग जुड़े हुए हैं। पुलिस ने इन ग्रुप्स को भी खंगाला है, लेकिन नामों से अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। पूछताछ के बाद और खुलासे हो सकते हैं।

पूछताछ में कुछ विदेशी नाम सामने आए हैं। यह कोड नाम हैं या असली नाम हैं, इसके लिए गिरफ्तार किए आरोपी से और पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में सामने आया है कि विदेशी लोग केवल ग्रुप पर ही दिशा-निर्देश देते थे। कभी गिरफ्तार किए आरोपी से भी वह नहीं मिले। हालांकि, सच्चाई क्या है, इसको लेकर पुलिस पड़ताल में जुटी है।

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