जानिए कैसे बन सकती है जोधपुर से कच्छ तक ड्रेन
राज्य सरकार पश्चिमी रेगिस्तान की लूणी नदी और इससे जुड़े इलाकों में प्रदूषित पानी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए ड्रेन बनाने को तैयार हों तो केन्द्र व व्यापारियों की मदद से यह योजना कारगर हो सकती है।


बाड़मेर .
राज्य सरकार पश्चिमी रेगिस्तान की लूणी नदी और इससे जुड़े इलाकों में प्रदूषित पानी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए ड्रेन बनाने को तैयार हों तो केन्द्र व व्यापारियों की मदद से यह योजना कारगर हो सकती है। ट्रीटमेंट प्लांट की तर्ज पर ही ड्रेन निर्माण की योजना बन सकती है।
ट्रीटमेंट प्लांट में केन्द्र सरकार की ओर से 50 प्रतिशत और 25 प्रतिशत राज्य सरकार के देने पर शेष 25 प्रतिशत व्यापारियों ने देकर इनका निर्माण करवाया ताकि प्रदूषण की समस्या से निजात मिले। प्रदूषित पानी अधिक होने से पूरी तरह से इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ऐसे में अब ड्रेन बनाकर इस पानी को कच्छ के रण तक पहुंचाने की योजना की दरकार है। इस योजना में भी व्यापारी 25 प्रतिशत राशि देने को तैयार है। राज्य सरकार प्रस्ताव भेजे तो केन्द्र भी 50 फीसदी दे सकता है।
डीपीआर बनाने की मंजूरी पहले
बीते दिनों व्यापारियों ने लघु उद्योग भारती के जरिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। इसमें उल्लेख किया कि जोधपुर से कच्छ के रण तक ड्रेन बनाने के लिए पहले डीपीआर बनाई जाए। लागत का अनुमान होने के बाद केन्द्र व राज्य दोनों मदद करेंगे तो व्यापारी भी इसमें सहयोग में आगे आएंगे।
फायदे इतने की राशि लगेगी मामूली
ड्रेन पर राशि एक बार लगेगी लेकिन इसके फायदे होने पर यह राशि मामूली ही नजर आएगी। केन्द्र सरकार 650 करोड़ की लूणी वनीकरण योजना बना रही है। इस योजना को इससे जोड़ा जा सकता है। दूसरा वन से होने वाली आय भी फायदेमंद होगी। सबसे बड़ा यहां ऑक्सीजन का लेवल बढऩे से पर्यावरण को लेकर बड़ा फायदा होगा।
हम देने को तैयार
ड्रेन बनाने की योजना बनती है तो व्यापारियों की ओर से 25 प्रतिशत राशि दी जा सकती है। व्यापारियों को इसे फायदा है और प्रदूषण की समस्या का समाधान होगा। यह क्षेत्र और समाज के हित में भी होगा।- शांतिलाल बालड़, प्रदेश अध्यक्ष लघु उद्योग भारती
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