आर्म्स के तहत संजय दत्त को मिली सजा
उन्होंने NDTV संग बातचीत में कहा कि एक्टर संजय को TADA के तहत आतंकी होने के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था। इसके बाद उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में अपनी सजा पूरी की। निकम ने कहा कि उस समय संजय निर्दोष थे। उन्होंने AK47 इसलिए रखा, क्योंकि उन्हें हथियारों का शौक था। कानून की नजर में यह अपराध है, लेकिन मैं संजय दत्त को सीधा-साधा इंसान मानता हूं। मैं उन्हें निर्दोष मानता हूं।
हमले से कुछ दिन पहले आई थी संजय के घर वैन
निकम ने आगे कहा कि बस मुझे एक बात कहनी है। साल 1993 में 12 मार्च को सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था। उसके कुछ ही दिन पहले एक वैन संजय के घर आई थी। वह वैन हथियारों से भरी थी। उसमें हथगोले और AK47 था। जिसे अबू सलेम लेकर पहुंचा था। संजय ने पहले कुछ हथगोले और बंदूकें उठाई, फिर उन्होंने सब रख दिया और सिर्फ AK47 अपने पास रख ली। अगर उन्होंने यह बात समय रहते पुलिस को बताई होती तो मुंबई सीरियल ब्लास्ट कभी नहीं होता।
संजय ने एक भी गोली नहीं चलाई
उन्होंने बातचीत में बताया कि संजय ने एक भी गोली नहीं चलाई थी, लेकिन पुलिस को घटना की सूचना नहीं देने के कारण मुंबई में इतने सारे लोग मारे गए। निकम ने कहा कि जब संजय को आर्म्स एक्ट में सजा मिली तो उन्होंने आपा खो दिया था। उनके हाव भाव बदल गए थे। ऐसा लग रहा था कि वह सदमे में हैं। वह सहमे-सहमे लग रहे थे। निकम ने कहा कि जब वह गवाह के कठघरे में थे तो मैं उनके पास ही खड़ा था। मैंने उनसे बात की थी। उसके बाद संजय चुप हो गए थे। निकम ने कहा, ‘मैंने संजय से कहा था कि संजय ऐसा मत करो। मीडिया तुम्हें देख रहा है। तुम एक अभिनेता हो। अगर तुम सज़ा से डरे हुए लगोगे, तो लोग तुम्हें दोषी मान लेंगे। तुम्हारे पास अपील करने का मौका है। संजय ने जवाब में सिर हिलाते हुए जी सर, जी सर कहा’।
कसाब को दिलाई थी फांसी
बता दें कि उज्जवल निकम 26/11 मामले में वकील थे। इस मामले में कोर्ट ने पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब को फांसी की सजा सुनाई थी। कसाब को लेकर निकम ने कहा कि कसाब ने जेल में बिरयानी की मांग की थी, लेकिन इस टिप्पणी को राजनीतिक नेताओं ने उठा लिया और उसका राजनीतिकरण कर दिया।