राजस्थान के इन जिलों में कैसे होगी नारी सुरक्षा… 09 लाख महिलाओं पर 182 महिला कांस्टेबल
बाड़मेर जिले में वर्तमान में 19 व बालोतरा में 10 थाने संचालित हो रहे हैं। जबकि इन दो जिलों में 182 महिला कांस्टेबल हैं। ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में महज दो-दो महिला कांस्टेबल की पदस्थापित हैं।
राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर व बालोतरा जिलों में बेटियों व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार व पुलिस भले ही कितने ही दावे कर रहे हो, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। क्योंकि यहां थाने में कुछ महिला कांस्टेबल पदस्थापित हैं। थानों में अगर कोई महिला पीड़ित आती है तो उसे ज्यादातर पुरुष पुलिसकर्मियों को ही अपनी पीड़ा बतानी पड़ती है।
पीड़िताएं असहज हो जाती हैं। इसकी वजह यह है कि बाड़मेर व बालोतरा पुलिस के पास महज 182 महिला पुलिस कांस्टेबल हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दोनों जिलों में करीब 9 लाख से ज्यादा महिलाओं की सुरक्षा कैसे संभव होगी।
दोनों जिलों में 29 थानें संचालित
बाड़मेर जिले में वर्तमान में 19 व बालोतरा में 10 थाने संचालित हो रहे हैं। जबकि इन दो जिलों में 182 महिला कांस्टेबल है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में महज दो-दो महिला कांस्टेबल की पदस्थापित है। कई बार उनके अवकाश या अन्य कारण होने पर महिला प्रताड़ना के मामलों में पुरुष कांस्टेबल की सुनवाई करते हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सुरक्षा चुनौती
ग्रामीण इलाकों में महिला अक्सर सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करती हैं और कई बार पुलिस तक पहुंचने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला पुलिस अधिकारी नहीं होने की वजह से भी वह परेशानी को खुलकर भी नहीं बता पाती है। ऐसे में उस समस्या को समाधान नहीं हो पाता है।
एक महिला थाना, उसमें भी पुरुष प्रभारी
बाड़मेर में एक महिला थाना जिला मुख्यालय पर संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा महिला अनुसंधान सेल भी है। जबकि बालोतरा में महिला थाने की घोषणा हो रखी है, लेकिन अभी तक पूरी तरह से संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
बड़ी बात यह है कि बाड़मेर के महिला थाने के प्रभारी भी पुरुष अधिकारी हैं। वहीं थाने में भी महिला नफरी की पर्याप्त संख्या नहीं है। महिला सुरक्षा की चिंता करने का दावा करती सरकारी को शायद इस वस्तुस्थिति का भान नहीं है। आए दिन महिलाओं के साथ होने वाले संगीन अपराध सुर्खिया बनते हैं, लेकिन धरातल पर महिला नफरी की कमी भी कहीं न कहीं महिला अपराध को लेकर चिंता का विषय बन रहा है।
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इसलिए चुनौती
बाड़मेर व बालोतरा में 9 लाख महिला वोटर्स है, इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाएं भी हैं। वहीं हर साल बाड़मेर व बालोतरा जिले में महिला अपराध को लेकर 600 से 700 प्रकरण दर्ज होते हैं। जबकि महिला नफरी की संख्या दोनों जिलों में महज 182 है।
महिला पुलिस अधिकारी एक भी नहीं है। ऐसे में जब महिला को शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तो एफआइआर होने के बाद पीड़िता को मानसिक सहारा देने के लिए भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी महिला अधिकारी नहीं होने से पूरी नहीं हो रही।
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