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बरेली

पीसीएस ऑफीसर ज्योति मौर्य के पति ने मांगा एलिमिनी, हाईकोर्ट में दाखिल की अपील, नोटिस जारी

पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य के बीच चल रहा पारिवारिक विवाद एक बार फिर चर्चा में है। पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने के मामले में अब आलोक मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की है। उन्होंने प्रयागराज की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी पत्नी से भरण-पोषण की मांग को खारिज कर दिया गया था।

बरेलीJul 14, 2025 / 02:20 pm

Avanish Pandey

पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य के बीच चल रहा पारिवारिक विवाद एक बार फिर चर्चा में है। पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने के मामले में अब आलोक मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की है। उन्होंने प्रयागराज की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी पत्नी से भरण-पोषण की मांग को खारिज कर दिया गया था।

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न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और डॉ. योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस मामले में ज्योति मौर्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त 2025 की तिथि तय की है।

तलाक याचिका लंबित, उसी में मांगा था गुजारा भत्ता

बता दें कि ज्योति मौर्य द्वारा प्रयागराज के फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका पहले से लंबित है। इसी मुकदमे की सुनवाई के दौरान आलोक मौर्य ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा था, जिसे 4 जनवरी 2025 को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ आलोक ने अब हाईकोर्ट का रुख किया है।

“सरकारी कर्मचारी हूं, पत्नी की आमदनी अधिक है”

अपनी याचिका में आलोक मौर्य ने बताया कि वे पंचायती राज विभाग में एक सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। उन्होंने दावा किया कि वे कई गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हैं। वहीं, उनकी पत्नी ज्योति मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हैं और उनकी मासिक आय काफी अधिक है। ऐसे में पत्नी को ही गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
कानूनी जानकारों के अनुसार, हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 24 एक लिंग-निरपेक्ष (gender neutral) प्रावधान है। इसका मतलब है कि पति या पत्नी में से कोई भी, अगर आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वह जीवनसाथी से गुजारा भत्ता मांग सकता है।

“सपोर्ट किया, लेकिन पद मिलते ही बदल गया व्यवहार”

आलोक मौर्य ने दावा किया है कि उन्होंने ही अपनी पत्नी की पढ़ाई और पीसीएस की तैयारी में पूरा सहयोग किया था। दोनों का विवाह वर्ष 2010 में हुआ था। लेकिन जैसे ही 2015 में ज्योति मौर्य की एसडीएम पद पर नियुक्ति हुई, उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। आलोक की याचिका 77 दिन की देरी से दाखिल की गई है, जिसे लेकर उन्होंने कोर्ट से देरी माफ करने की गुहार भी लगाई है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें फैमिली कोर्ट के फैसले का अंग्रेजी अनुवाद पेश करने का निर्देश दिया है।

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