तलाक याचिका लंबित, उसी में मांगा था गुजारा भत्ता
बता दें कि ज्योति मौर्य द्वारा प्रयागराज के फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका पहले से लंबित है। इसी मुकदमे की सुनवाई के दौरान आलोक मौर्य ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता मांगा था, जिसे 4 जनवरी 2025 को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ आलोक ने अब हाईकोर्ट का रुख किया है।“सरकारी कर्मचारी हूं, पत्नी की आमदनी अधिक है”
अपनी याचिका में आलोक मौर्य ने बताया कि वे पंचायती राज विभाग में एक सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। उन्होंने दावा किया कि वे कई गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हैं। वहीं, उनकी पत्नी ज्योति मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार में वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हैं और उनकी मासिक आय काफी अधिक है। ऐसे में पत्नी को ही गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।कानूनी जानकारों के अनुसार, हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 24 एक लिंग-निरपेक्ष (gender neutral) प्रावधान है। इसका मतलब है कि पति या पत्नी में से कोई भी, अगर आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वह जीवनसाथी से गुजारा भत्ता मांग सकता है।