तीनों टीकों में क्या है खास?
नेगेटिव मार्कर ट्राइवेलेंट एफएमडी वैक्सीनयह वैक्सीन खुरपका-मुंहपका (FMD) नाम की बेहद संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए बनाई गई है, जिससे देश को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इस वैक्सीन की खास बात यह है कि इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कोई पशु टीका लगाया गया है या वह असल में संक्रमित है। यह टीका डॉक्टर सुरेश बसगौडनवर और उनकी टीम ने तैयार किया है।
यह वैक्सीन बकरियों और भेड़ों में फैलने वाले खतरनाक रोग ‘पी.पी.आर’ से बचाव के लिए है। दुनिया भर में इस बीमारी को 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य तय किया गया है। यह वैक्सीन भी टीका लगे और संक्रमण से बीमार हुए जानवरों में फर्क कर सकती है। इस पर काम डॉ. एस. चंद्रशेखर की टीम ने किया है।
कुत्तों में होने वाली जानलेवा बीमारी पार्वोवायरस के लिए यह पहली देसी वैक्सीन है। यह बीमारी कुत्तों में तेज बुखार, उल्टी और खून वाले दस्त जैसे लक्षण लाती है। यह टीका पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है और अब विदेशी टीकों की जरूरत नहीं होगी। इसे डॉ. विशाल चंदर और उनकी टीम ने बनाया है। इसके साथ ही सूअर की शंकर लैंडली नस्ल, इंडिमस नाम की चूहों की नई प्रजाति और पी.पी.आर-गोटपॉक्स का संयुक्त टीका भी इस मौके पर वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया गया।