डॉ. जोशी के अनुसार इस समस्या में अन्न नली दो भागों में विभाजित हो जाती जिसके कारण बच्चे को भोजन पेट तक ठीक से नहीं पहुंच पाता है। बच्चे का वजन बढ़कर सात से 10 किलो होने पर ही इस तरह की सर्जरी करना लाभ प्रद माना जाता है। चिकित्सकों ने गत 29 मई को यह जटिल सर्जरी की। इसके बाद बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ और उसने बिना नली के पहली बार दूध पीया था। अब यह बालक बिना किसी परेशानी के खाना खा सकता है। पिछले दिनों किए यह ऑपरेशन डॉ. जयश्रीरामजी एवं उनकी टीम ने किया।
40 से 50 फीसदी ही सर्जरी सफल
डॉ. जोशी ने बताया कि इस तरह की सर्जरी में 40 से 50 फीसदी ही मामलों में मरीज के बचने की गुंजाइश होती है। लेकिन इस मामले में यह पूरी तरह से सफल रही है। बच्चे को सफल उपचार के बाद छुट्टी भी दे दी गई है।