याचिका में यह भी कहा गया है कि समाजवादी पार्टी अब खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट में नगर पालिका परिषद पीलीभीत द्वारा लिए गए “गैरकानूनी और जल्दबाजी में लिए गए फैसले” को चुनौती देना चाहती है, लेकिन पहले की याचिका के कारण नया मामला दाखिल करने में बाधा उत्पन्न हो रही है।
एसएलपी के अनुसार, साल 2020 में पार्टी को पीलीभीत नगर पालिका परिषद द्वारा कार्यालय हेतु जगह आवंटित की गई थी, और कब्जे का पत्र भी दिया गया था। लेकिन बाद में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने आदेश जारी कर कहा कि यह आवंटन नियमों के अनुसार नहीं हुआ और कई प्रक्रियाएं जैसे कि सार्वजनिक नीलामी और रजिस्ट्रेशन नहीं हुईं।
समाजवादी पार्टी ने कोर्ट में क्या कहा
समाजवादी पार्टी ने कोर्ट में यह तर्क दिया है कि उन्हें ना तो सुनवाई का मौका दिया गया और ना ही संबंधित तथ्यों और कानूनों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया। पार्टी का कहना है कि वे लगातार किराया जमा कर रहे थे और जनवरी 2021 तक भुगतान किया जा चुका है। एसएलपी में यह भी आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दबाव में आकर अधिशासी अधिकारी और उनके सहयोगियों ने पार्टी कार्यालय के शांतिपूर्ण संचालन में बार-बार हस्तक्षेप किया और जबरन कार्यालय बंद कराने की कोशिश की।