केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलेगी। 2025-26 से शुरू होकर कम से कम 6 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 24,000 करोड़ रुपये का वित्तीय खर्च निर्धारित किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को प्रस्ताव दिया था कि सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ शुरू करेगी। यह योजना 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, अन्य राज्य योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर चलाई जाएगी।
ऐसे चुने जायेंगे 100 जिले
कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण जैसे तीन प्रमुख संकेतकों के आधार पर 100 जिलों की पहचान की जाएगी। हर राज्य से कम से कम 1 जिले का चयन किया जाएगा। योजना की निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। योजना को जिला धन धान्य समिति द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके सदस्य किसान भी होंगे।
इस तरह की जाएगी योजना की निगरानी
प्रत्येक धन धान्य जिले में योजना की प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर एक डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख निष्पादन संकेतकों पर की जाएगी। नीति आयोग जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन भी करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक जिले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।
योजना से उत्पादन में वृद्धि होगी
बताया जा रहा है कि इस योजना से फसलों के उत्पादन में वृद्धि होगी। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन होगा, स्थानीय आजीविका का सृजन होगा और इस प्रकार आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी। जैसे-जैसे इन 100 जिलों के संकेतकों में सुधार होगा, राष्ट्रीय संकेतक खुद ही ऊपर की ओर बढ़ेंगे।