चुनाव आयोग का जवाब
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई के दौरान आयोग को सुझाव दिया था कि पुनरीक्षण के लिए आवश्यक 11 दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को शामिल किया जाए। हालांकि, 21 जुलाई को दाखिल हलफनामे में आयोग ने इन सुझावों को अस्वीकार कर दिया।
चुनाव आयोग का SC को तर्क
आधार कार्ड: आयोग ने कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। विभिन्न हाईकोर्टों ने भी इसे भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं माना है। हालांकि, अन्य दस्तावेजों के साथ मिलाकर इसे पात्रता साबित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। राशन कार्ड: नकली राशन कार्डों की व्यापकता के कारण इसे मुख्य दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया। आयोग ने मार्च में केंद्र सरकार की विज्ञप्ति का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 5 करोड़ से अधिक फर्जी राशन कार्ड धारकों को हटा दिया गया है।
वोटर आईडी: चूंकि वोटर आईडी स्वयं संशोधित हो रही मतदाता सूचियों पर आधारित है, इसे प्रमाण के रूप में स्वीकार करना पूरी प्रक्रिया को निरर्थक बना देगा।
90% फॉर्म जमा, 2.9 करोड़ वोटर प्रभावित
आयोग ने बताया कि तय समय सीमा से 10 दिन पहले ही 90% से अधिक गणना फॉर्म जमा हो चुके हैं। इस कार्य में 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स और करीब 1 लाख स्वयंसेवक शामिल हैं। 24 जून को शुरू हुए पुनरीक्षण के तहत बिहार में करीब 2.9 करोड़ ऐसे वोटरों को अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने हैं, जिनके नाम 2033 की मतदाता सूची में नहीं हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में होगी।