प्रोफेसर अपूर्वानंद समेत कई लोगों ने दी थी चुनौती
यह मामला तब सामने आया जब प्रोफेसर अपूर्वानंद सहित कई लोगों ने योगी सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आदेश धार्मिक यात्रा के नाम पर व्यापारिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए सरकार के आदेश को जायज ठहराया।
दुकानदारों को दिखाना होगा QR कोड और लाइसेंस
कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान और लाइसेंस प्रदर्शित करने में कोई हानि नहीं है। इससे प्रशासन को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि किसी तरह की अव्यवस्था या अवैध गतिविधि न हो। QR कोड से लेन-देन पारदर्शी होंगे और लाइसेंस से व्यवसायिक प्रमाणिकता स्थापित होगी।
इस साल नहीं पड़ेगा बड़ा असर, लेकिन भविष्य में बनेगी मिसाल
हालांकि अदालत के इस आदेश का इस वर्ष की कांवड़ यात्रा पर विशेष असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह यात्रा आगामी बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर समाप्त हो रही है। बावजूद इसके, यह फैसला आने वाले वर्षों के लिए एक मजबूत उदाहरण बनेगा, खासतौर पर जब कांवड़ यात्रा जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों में भीड़ और सुरक्षा बड़ा मुद्दा बनती है।
पिछले साल के आदेश पर मिली थी अलग राय
गौरतलब है कि इससे पहले योगी सरकार ने दुकानदारों के लिए अपने नाम का बोर्ड लगाने का आदेश दिया था। उस आदेश पर भी सुप्रीम कोर्ट का रुख मांगा गया था, लेकिन तब अदालत ने उसे गलत ठहराया था। हालांकि तब भी निर्णय आने तक कांवड़ यात्रा समाप्त हो चुकी थी।
कानून व्यवस्था और पारदर्शिता की दिशा में अहम कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश प्रशासनिक पारदर्शिता और कानून व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे धार्मिक आयोजनों के दौरान किसी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकेगी और आम जनता की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।