न्यायाधीश अनूप कुमार ढंढ ने मुनेश गुर्जर की ओर से अपने तीसरे निलंबन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पिछले सप्ताह सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 13 महीने के कार्यकाल में राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को तीन बार निलंबित किया।
निलंबन आदेश रद्द
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 अगस्त 2023 और 22 सितंबर 2023 को उन्हें निलंबित किया, दोनों निलंबन आदेशों को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। इसके बाद 23 सितंबर 2024 को वर्तमान सरकार ने निलंबित कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता ने कहा कि राज्य सरकार ने दो-दो जांच अधिकारी नियुक्त कर दिए। एक जांच अधिकारी का लेटर नहीं मिला। दूसरे जांच अधिकारी का जो लेटर मिला, उस पर साइन नहीं थे।
सुनवाई के दिन सार्वजनिक अवकाश
सुनवाई के लिए जो तारीख दी गई, उस दिन सार्वजनिक अवकाश था। जब स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखा, तो अगले दिन ही निलंबित कर दिया गया। सरकार ने एक तरफा कार्रवाई की है। निलंबन का निर्णय राजनीति से प्रेरित है।
वहीं, सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि निलंबन से पहले सुनवाई का पूरा मौका दिया था। नोटिस दिए गए थे, लेकिन जवाब सही नहीं पाया गया। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में इनका निलंबन उचित है।
‘जनता की आवाज होते हैं जनप्रतिनिधि’
कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधि जनता की आवाज होते हैं। जनता यह भी अपेक्षा करती है कि वे किसी भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हों और इसी आधार पर सरकार व लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा किया जाता है। ऐसे में सरकार के निलम्बन के आदेश पर दखल नहीं किया जा सकता, लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि को लंबे समय तक निलम्बित नहीं रखा जा सकता।