चार तालाब तो सिर्फ कागजों में बचे
तालाबों के प्राकृतिक जल भराव क्षेत्र में वर्षों से मिट्टी, कचरा डालकर कब्जे किए गए। कई तालाब जलकुंभी से पाट दिए गए और उनके जल आने-जाने के रास्ते बंद कर दिए गए। वर्ष 2008-09 में कुछ तालाबों का गहरीकरण हुआ, लेकिन कैचमेंट एरिया पर कब्जों ने उस प्रयास को बेकार कर दिया। खसरा नंबर 779, 1285, 1413, 1625 और 2815 जैसे कई तालाबों की जमीनें आज भी सरकारी रिकॉर्ड में बंधान के नाम से दर्ज हैं, मगर जमीनी हकीकत में उन पर पक्के मकान, दुकानों और गोदामों की कतारें हैं।
हाईकोर्ट के आदेश, फिर भी कार्रवाई शून्य
7 अक्टूबर 2014 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जिला प्रशासन को तीन महीने के भीतर तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया था। 7 जनवरी 2015 की कट-ऑफ डेट तय कर दी गई थी। मगर भू-माफियाओं की पहुंच और प्रशासनिक उदासीनता के चलते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
तालाबों पर 309 कब्जे हो चुके हैं चिंहित
राव सागर (10.50 एकड़) पर 8 कब्जे, ग्वाल मंगरा (9 एकड़) पर 28 कब्जे, प्रताप सागर (35 एकड़) पर 109 कब्जे, किशोर तालाब (8.5 एकड़) पर 14 कब्जे, सांतरी तलैया (6 एकड़) पर 7 कब्जे और विंध्यवासनी तलैया (3.5 एकड़) पर 7 कब्जों का चिन्हांकन 12 साल पहले हो चुका है। अक्टूबर 2020 में कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने 20 सदस्यीय टीम गठित की। किशोर सागर में 150 कब्जे चिन्हित हुए। मगर कार्रवाई वहीं रुक गई। इसके बाद अप्रेल 2022 में 13 सदस्यीय टीम ने ग्वाल मंगरा तालाब का सीमांकन कर 28 अवैध कब्जेदारों को नोटिस थमाए, लेकिन इसके बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। बारिश ने फिर दिलाई याद इस वर्ष की मूसलाधार बारिश ने कैचमेंट एरिया में बने अवैध मकानों की पोल खोल दी। तालाबों का पानी बहाव की जगह न पाकर गलियों में घुस गया। नतीजतन शहरवासियों को पानी भराव और बदबू से दो-चार होना पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है तालाब हमारे जल स्रोत हैं, इनका बचना जरूरी है। प्रशासन हाईकोर्ट के पुराने आदेशों को लागू करे और बचे हुए तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराए, नहीं तो आने वाली पीढियां सिर्फ रिकॉर्ड में तालाबों के नाम पढ़ेंगी।
इनका कहना है जलजमाव की वजह से परेशान रहवासियों के लिए इंतजाम किए गए हैं। शहर के सभी नालों का सीमांकन करवा कर अतिक्रमण हटवाया जाएगा ताकि भविष्य में जलजमाव की स्थिति न बने।
ललिता यादव, विधायक