आयुष से इलाज पर हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम में परेशानी आ रही है। (PC: Pixabay)
Health Insurance: अगर आपने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध या होम्योपैथी (आयुष) से इलाज कराया है और सोचते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस उसका खर्च उठाएगा तो जरा सावधान हो जाइए। आयुष उपचारों को बीमा दायरे में लाने के बावजूद मरीजों को इनके क्लेम के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 70% आयुष के क्लेम रिजेक्ट हो रहे हैं। बीमा नियामक इरडा ने जनवरी 2024 में स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि आयुष को एलोपैथी के बराबर हेल्थ कवरेज मिले। दरअसल, बीमा कंपनियां दस्तावेजों की कमी, अस्पष्ट उद्देश्यों और इलाज की मेडिकल नीड न होने जैसे तर्कों के आधार पर क्लेम खारिज कर रही हैं। यहां तक कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री आरोग्य योजना में भी आयुष को कवर नहीं किया जा रहा है।
बीमा कंपनियां यह कहते हुए क्लेम खारिज कर रही हैं कि उपचार केवल डायग्नॉस्टिक पर्पस (जांच) के लिए था। मरीज का अस्पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं था।
कई कंपनियां आयुष पद्धतियों को ‘वेलनेस’ या ‘रूटीन हेल्थ केयर’ की श्रेणी में रखती हैं, जिससे भुगतान की जिम्मेदारी से बचा जा सके।
स्टार हेल्थ की कुछ पॉलिसियों में योग और नेचुरोपैथी को स्पष्ट रूप से कवर नहीं किया गया है। वहीं निवा बुपा की रीएश्योर 2.0 पॉलिसी में भी कुछ आयुष उपचारों को सीमित कर दिया गया है। स्टार ने योग और नेचुरोपैथी को बाहर रखा है।
इसलिए क्लेम हो रहे रिजेक्ट
इलाज के लिए स्टैंडर्ड प्रोटेकॉल का अभाव, अस्पताल और मरीज दोनों ही डॉक्यूमेंटेशन और क्लेम प्रोसेस के नियमों से अनजान।
क्लेम के लिए सही प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती, जिससे बीमा कंपनी उसे ‘वेलनेस ट्रीटमेंट’ मानकर खारिज कर देती है। इलाज ओपीडी में कराया जा सकता था।
मेडिकल दस्तावेज अक्सर अधूरे होते हैं, जैसे डॉक्टर की सलाह, निदान रिपोर्ट, और इन्फॉर्म्ड कॉन्सेंट।
बीमा कंपनियों का तर्क, आयुष के तहत कराए गए उपचार की प्रकृति रोग को ठीक करने वाली नहीं, बल्कि रोकथाम करने वाली है।
क्या करें कि क्लेम न हो रिजेक्ट?
इलाज से पहले ही पॉलिसी पढ़ लें कि कौन-कौन से आयुष इलाज शामिल हैं। कुछ कंपनियां कुछ बीमारियों के उपचार को कवर नहीं करती हैं।
बीमा कंपनी के हॉस्पिटल नेटवर्क में शामिल आयुष सेंटर में इलाज को प्राथमिकता दें। अन्य अस्पताल में इलाज करा रहे हैं तो वह एनएबीएच से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। -अस्पताल में भर्ती होने से 24 घंटे पहले अपनी बीमा कंपनी को सूचित करें।
डॉक्टरों की सलाह, भर्ती की जरूरत और इलाज का पूरा रेकॉर्ड सुरक्षित रखें।
क्लेम रिजेक्ट हो तो बीमा लोकपाल में शिकायत करें।
Hindi News / Business / Health Insurance: आयुर्वेद या होम्योपैथी से इलाज पर क्यों खारिज हो जाता है बीमा क्लेम? कंपनियां बना रहीं ये बहाने