अपहरण और त्रासदी
उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद चार हथियारबंद अपहरणकर्ताओं ने विमान पर कब्जा करने की कोशिश की। उनकी मंशा यात्रियों को लूटने और विमान को स्वयं उड़ाने की थी। जब एक अपहरणकर्ता कॉकपिट में घुसा और नियंत्रण की मांग की, तो अमेरिकी कप्तान डेल क्रेमर ने इंकार कर दिया। इसके बाद हुए संघर्ष में दोनों पायलटों को गोली मार दी गई। कप्तान का शव कंट्रोल स्टिक पर गिरा, जिससे विमान अनियंत्रित होकर समुद्र में जा गिरा। 26 में से केवल एक व्यक्ति, 24 वर्षीय चीनी किसान वॉन्ग यू, जो अपहरणकर्ताओं में से एक था, जीवित बचा।
कानूनी उलझन और वॉन्ग की रिहाई
घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि वॉन्ग पर मुकदमा कौन चलाए। विमान ब्रिटिश कंपनी का था, लेकिन अपहरणकर्ता चीनी थे। हांगकांग ने मुकदमा चलाने से इंकार कर दिया, और अंततः 1951 में वॉन्ग को चीन वापस भेज दिया गया। उसे कभी सजा नहीं मिली, और 27 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई।
हवाई सुरक्षा में क्रांति
‘मिस मकाओ’ त्रासदी ने हवाई यात्रा की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए। उस समय न मेटल डिटेक्टर थे, न ही सामान की सख्त जांच की व्यवस्था। अपहरणकर्ताओं ने हथियारों को पैरों पर काले धागे से बांध रखा था, और एक ने गोली को जूते की सोल में छिपाया था। इस घटना ने ‘एयर पायरेसी’ जैसे शब्द को जन्म दिया और विमानन सुरक्षा के लिए नई प्रणालियों की शुरुआत की, जैसे कि बेहतर जांच और स्क्रीनिंग प्रक्रियाएं।