रूस के साथ व्यापार से भारी नुकसान
रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों के साथ बैठक के दौरान यह चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “यदि आप बीजिंग, दिल्ली या ब्रासीलिया में हैं, तो आपको यह समझना होगा कि रूस के साथ व्यापार का भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।” उन्होंने इन देशों से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने की अपील की, ताकि यूक्रेन-रूस युद्ध में शांति स्थापित हो सके।
ट्रंप की धमकी
यह चेतावनी उस समय आई है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल सिस्टम सहित बड़े पैमाने पर हथियारों की आपूर्ति की घोषणा की है। ट्रंप ने कहा कि यदि 50 दिनों के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति समझौता नहीं होता, तो रूस से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 100% सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा।
भारत-रूस व्यापार
भारत, चीन और ब्राजील, जो ब्रिक्स समूह के प्रमुख देश हैं, ने 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भी रूसी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद जारी रखी है। भारत वर्तमान में रूस से कच्चा तेल आयात करने वाला एक प्रमुख देश है। यदि प्रतिबंध लागू होते हैं, तो इन देशों को ऊर्जा आपूर्ति में रुकावट, कीमतों में उछाल और आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
रूस का जवाब
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ट्रंप की धमकी को खारिज करते हुए कहा कि मॉस्को नए प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि रूस पहले से ही अभूतपूर्व प्रतिबंधों का सामना कर रहा है और वह किसी भी नए दबाव को झेलने में सक्षम है।
भारत की स्थिति
भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है और रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बनाए रखा है। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार में हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है, खासकर तेल और रक्षा क्षेत्र में। भारत ने रूस के साथ ब्यूटाइल रबर संयंत्र और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं में भी सहयोग बढ़ाया है।