फिर संवरेंगे मंदिर, महल, दीवारों की नक्काशी लेंगी नया रूप
इसके बाद ओरछा के लक्ष्मी मंदिर, राजमहल के दीवान-ए-आम और जहांगीर महल के प्रथम एवं द्वितीय तल की दीवार एवं छतों की नक्काशी फिर से नया रूप लेंगी। पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर घनश्याम बाथम बताते हैं कि ओरछा की यह धरोहर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भारतीय चित्रकला की उत्कृष्ट कृति भी है। लक्ष्मी मंदिर की दीवारों पर भगवान विष्णु, कृष्ण लीलाओं के साथ लक्ष्मी बाई के युद्ध की गाथा का भी चित्रांकन किया गया है।
मिस्र-बेबीलोनिया की चित्रकला का उपयोग
ओरछा के लक्ष्मी मंदिर, राजमहल (Orchha Palace) और जहांगीर महल की दीवारों और छतों पर बनी ये कलाकृतियां स्क्रेफिटो और टेम्परा शैली में निर्मित हैं, जो मिस्र और बेबीलोनिया की उन्नत चित्रकला परंपराओं से जुड़ी मानी जाती हैं। स्क्रेफिटो में सतह को खुरचकर चित्र उकेरे जाते हैं, जबकि टेम्परा शैली में गीली सतह पर रंग भरकर उसे स्थायी किया जाता है। ऐसी ही पेंटिंग्स राजस्थान के भी कई महलों में देखने को मिलती है।
दीवारों और छतों की पेंटिंग्स का किया जा रहा परीक्षण
(MP Tourism) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts) के प्रोजेक्ट मैनेजर आस्तिक भारद्वाज के अनुसार, पहले चरण में दीवारों और छतों की पेंटिंग्स का वैज्ञानिक परीक्षण कर यह देखा जा रहा है कि चित्रों में किस प्रकार के रंग और सामग्री का उपयोग किया गया था। उनका जीवनकाल क्या है। परीक्षण के बाद यह तय होगा कि पेंटिंग्स की मरम्मत की जाएगी या उन्हें नए सिरे से दोबारा बनाया जाएगा।