जानें कहां है एशिया का सबसे बड़ा मानव-निर्मित सफारी? प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने देश-विदेश से आते हैं पर्यटक
Asia largest man-made safari: नया रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी एशिया का सबसे बड़ा मानव-निर्मित सफारी एवं चिड़ियाघर है। 800 एकड़ में फैले इस परिसर में शेर, बाघ, भालू और कई दुर्लभ प्रजातियाँ संरक्षित हैं।
एशिया का सबसे बड़ा मानव-निर्मित सफारी (Photo source- Patrika)
Asia largest man-made safari: छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर में स्थित नंदनवन जंगल सफारी और ज़ू एशिया का सबसे बड़ा मानव-निर्मित सफारी एवं चिड़ियाघर है। लगभग 800 एकड़ (203 हेक्टेयर) में फैला यह विशाल परिसर पर्यावरण पर्यटन, वन्यजीव संरक्षण और शिक्षा का अनोखा संगम है। वर्ष 2016 में उद्घाटन के बाद से यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर के प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण बन चुका है।
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी क्षेत्र में फैला लगभग 800 एकड़ का नंदनवन जंगल सफारी (Nandan Van Zoo & Jungle Safari) आकार, क्षेत्रीय जैव-विविधता प्रदर्शन, योजनाबद्ध सफारी जोन और पर्यावरण-शिक्षा कार्यक्रमों के कारण एशिया के सबसे बड़े मानव-निर्मित जंगल सफारी के रूप में प्रचारित किया जाता है। यहाँ शेर, बाघ, भालू, हर्बीवोर झुंड, पक्षी, सरीसृप, रेस्क्यू सेंटर और विस्तृत जलाशय ‘खंडवा रिज़रवॉयर’ सहित बहु-आवासीय परिदृश्य देखने को मिलता है।
कहां स्थित है?
नंदनवन जंगल सफारी छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर (अब अटल नगर/नवा रायपुर) के सेक्टर‑39 क्षेत्र में स्थित है। यह रायपुर रेल्वे स्टेशन से लगभग 32–35 किमी तथा स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से लगभग 15–18 किमी दूरी पर है, इसलिए हवाई या रेल मार्ग से पहुँचना आसान है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नंदनवन की शुरुआत 1979 में एक मिनी ज़ू/रेस्क्यू शेल्टर के रूप में हुई, जो समय के साथ पर्यटन व वन्यजीव शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य गठन (2000) और नई राजधानी के विकास के साथ इसे विश्वस्तरीय सफारी मॉडल में विस्तार देने की योजना बनी। 1 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नंदनवन जू व सफारी का उद्घाटन किया, जिससे यह राष्ट्रीय सुर्खियों में आया।
मुख्य सफारी ज़ोन (ड्राइव‑थ्रू अनुभव)
नंदनवन में चार प्रमुख सफारी विकसित किए गए हैं- हर्बीवोर सफारी, भालू (Bear) सफारी, टाइगर सफारी और लायन सफारी- जहाँ पर्यटकों को वाहन से नियंत्रित मार्ग पर जंगली जीवों को खुले और हरित बाड़ों में देखने का अवसर मिलता है। सुरक्षित डबल-गेट एंट्री सिस्टम, 5 मीटर ऊँची + इनवर्टेड चेन-लिंक बाड़, जल स्रोत और प्राकृतिक छायादार वनस्पति इन एंक्लोज़र्स को सुरक्षित बनाते हैं।
हर्बीवोर सफारी चितल, सांभर, नीलगाय (ब्लू बुल), बार्किंग डियर और ब्लैकबक जैसे शाकाहारी प्रजातियों का झुंड अर्ध-प्राकृतिक घासभूमियों व वृक्षारोपित क्षेत्र में विचरण करता दिखाई देता है। टाइगर सफारी रॉयल बंगाल टाइगर के लिए बनाए गए विशाल बाड़े में जलकुंड, घासीय खुले हिस्से और झुकी झाड़ियाँ हैं; निर्धारित ट्रैक पर चलती बसों/बैटरी वाहनों से उनका अवलोकन किया जाता है।
लायन सफारी ‘जंगल के राजा’ को प्राकृतिक माहौल देने के लिए ऊँचे-नीचे भू-भाग, घास, वृक्षों की छाँव और विश्राम ढाँचों के साथ बड़ा एंक्लोज़र विकसित किया गया है। भालू सफारी स्लॉथ बेयर (भालू) के लिए झाड़ीदार परिदृश्य, फलदार पेड़, बिलनुमा आश्रय और जल स्रोत उपलब्ध कराए गए हैं ताकि उनके स्वाभाविक व्यवहार को संरक्षित रूप में देखा जा सके।
ज़ू प्रदर्शनी, रेस्क्यू व संरक्षण
सफारी के अतिरिक्त ज़ू सेक्शन में विविध प्रजातियों के लिए प्रदर्शनी बाड़े, बचाव एवं पुनर्वास केंद्र (Rescue & Rehabilitation), ब्रीडिंग एनक्लोज़र तथा थीमैटिक शिक्षा क्षेत्र विकसित हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार 700+ पशु (समेकित संख्या; समय के साथ बदल सकती) तथा 30+ प्रदर्शनी/एग्ज़िबिट बनाए गए हैं, जिनमें मगर, तेंदुआ, सफेद बाघ, कछुए, लकड़बग्घा, दरियायी घोड़ा, वन भैंसा आदि शामिल रहने की सूचना है
राज्य पशु ‘वन भैंसा’ संरक्षण पहल
छत्तीसगढ़ के प्रतीकात्मक वन भैंसा (Wild Water Buffalo) के संरक्षण हेतु समर्पित प्रजनन क्षेत्र विकसित करने की पहल दर्ज की गई है, जिसका उद्देश्य इस संकटग्रस्त प्रजाति के पुनरुद्धार में योगदान देना है।
हरित पट्टी व आवास सुधार
Asia largest man-made safari: सफारी परिधि व सेवा मार्ग के साथ हरित पट्टी विकसित की गई और भीतर हज़ारों पौधारोपण (लगभग 55,000 पौधे) से आवास संरचना सुधारी गई-गर्मी में छाया, वर्षाजल अवशोषण और जीवों के लिए प्राकृतिक आवास विस्तार हेतु।
पर्यावरणीय पहल: प्लास्टिक मुक्त सफारी
नंदनवन प्रबंधन ने 18 अगस्त 2024 से एक महत्वपूर्ण प्लास्टिक प्रतिबंध (प्लास्टिक बैग, बोतल आदि पर रोक) लागू करने की घोषणा की; आगंतुकों को बोतल जमा-रिफंड प्रणाली के ज़रिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे प्लास्टिक वापस लौटाएँ और परिसर को स्वच्छ रखें। यह कदम राज्य के जलवायु व वन विभाग के निर्देशों के तहत पर्यावरण संरक्षण जागरूकता से जुड़ा है।
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