जनजीवन बुरी तरह प्रभावित
प्रशासनिक रिपोर्ट में फिलहाल 27 गांवों को बाढ़ प्रभावित बताया गया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार 50 से अधिक गांवों में पानी घुस चुका है और 500 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं और खेत, स्कूल, मंदिर जैसी सार्वजनिक जगहें भी जलमग्न हो गई हैं।
18 से अधिक गांवों के संपर्क मार्ग पानी में डूबे
लगभग 18 से अधिक गांवों के संपर्क मार्ग पानी में डूब चुके हैं, जिससे वहां का अन्य इलाकों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। लोग नावों, ऊंचे ट्रैक्टरों और अस्थायी बांस के पुलों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं। द्रौपदी घाट के मौर्य बस्ती में पानी में डूबने से एक गाय की मौत हो गई, जिसका सड़ा हुआ शव अब दुर्गंध फैलाने लगा है और लोग बेहद परेशान हैं।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर
प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी लाई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर हैं। प्रशासन की ओर से दवाइयां, सूखा राशन, पीने का पानी, पशुओं के लिए चारा और टीकाकरण की व्यवस्था की जा रही है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में 15 नावें तैनात की गई हैं और 88 बाढ़ चौकियों को सक्रिय रखा गया है, ताकि आपात स्थिति में तेजी से सहायता पहुंचाई जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में 95 राहत केंद्र बनाए गए
बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 95 राहत केंद्र बनाए गए हैं। इसके अलावा शहर में दो प्रमुख राहत शिविर भी स्थापित किए गए हैं। एक एनी बेसेंट राहत शिविर और दूसरा कैंटोमेंट क्षेत्र के एक मैरेज हॉल में। इन दोनों शिविरों में अब तक लगभग 150 लोग शरण ले चुके हैं, जिनमें 135 लोग एनी बेसेंट शिविर और 15 लोग कैंटोमेंट शिविर में रह रहे हैं। हालांकि बाढ़ के पानी का स्तर अभी खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन ने नदी किनारे और तटीय इलाकों के लोगों को सतर्क रहने और समय पर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।