Raja Uday Pratap Singh House Arrest : मोहर्रम पर प्रतापगढ़ में राजा उदय प्रताप सिंह नजरबंद, प्रशासन ने उठाया एहतियाती कदम
Raja Uday Pratap Singh: प्रतापगढ़ के कुंडा में भदरी स्टेट के राजा उदय प्रताप सिंह समेत 13 लोगों को मोहर्रम के मौके पर 40 घंटे के लिए नजरबंद कर दिया गया। प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है। किले पर नोटिस चस्पा किया गया और भारी पुलिस बल तैनात रहा।
मोहर्रम पर तनाव की आशंका के चलते राजा उदय प्रताप सिंह समेत 13 लोग 40 घंटे के लिए नजरबंद फोटो सोर्स : Social Media
Raja Uday Pratap Singh Muharram Security House Arrest: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां भदरी स्टेट के प्रतिष्ठित महाराज और हिंदुत्व के समर्थक राजा उदय प्रताप सिंह समेत 13 लोगों को मोहर्रम के अवसर पर एहतियातन नजरबंद कर दिया गया है। यह नजरबंदी शनिवार की सुबह 5 बजे से शुरू होकर रविवार रात 9 बजे तक प्रभावी रहेगी। प्रशासन द्वारा यह फैसला संभावित सांप्रदायिक तनाव और कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
कुंडा प्रशासन ने आधिकारिक रूप से नजरबंदी का नोटिस जारी कर भदरी किले के बाहर चस्पा कर दिया। इस दौरान अपराध निरीक्षक संजय सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौके पर तैनात रहे। सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई पूरी तरह से एहतियाती मानी जा रही है और इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक अशांति से पहले ही निपटना है।
मोहर्रम और भंडारे का विवाद
यह मामला वर्ष 2012 से जटिल होता चला गया, जब मोहर्रम के दिन शेखपुरा गांव में एक बंदर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद से हिंदू संगठनों और स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया और उसी वर्ष से मोहर्रम के दिन विशेष रूप से हनुमान मंदिर पर हनुमान चालीसा पाठ और प्रसाद वितरण की परंपरा शुरू हुई।
2015 से हुआ आयोजन संस्थागत, राजा उदय प्रताप सिंह की निगरानी में
2015 में यह धार्मिक आयोजन भदरी स्टेट के राजा उदय प्रताप सिंह के संरक्षण में बड़े स्तर पर शुरू हुआ। प्रशासन ने उस समय मोहर्रम का जुलूस और हनुमान मंदिर पर आयोजित भंडारे को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराया। यह आयोजन कई वर्षों तक प्रशासन और धार्मिक समूहों के समन्वय से चलता रहा।
2016 से शुरू हुई नजरबंदी की परंपरा
हालांकि 2016 में भंडारे को लेकर आपत्ति दर्ज की गई और उस समय से लेकर अब तक हर वर्ष राजा उदय प्रताप सिंह और उनके सहयोगियों को मोहर्रम के दिन नजरबंद कर दिया जाता है। प्रशासन इसे शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु एहतियाती उपाय मानता है।
इस वर्ष भी दोहराया गया इतिहास
2025 में भी वही परंपरा दोहराई गई, जहां जिला प्रशासन ने पहले से ही इनपुट मिलने पर मोहर्रम से एक दिन पहले राजा उदय प्रताप सिंह समेत 13 लोगों को 40 घंटे के लिए नजरबंद कर दिया। प्रशासन ने दावा किया कि यह कदम दोनों समुदायों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए उठाया गया है, ताकि कोई भी विवाद उत्पन्न न हो और मोहर्रम का पर्व शांति और सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो सके।
क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
कुंडा के शेखपुरा, भदरी और आसपास के संवेदनशील गांवों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन के अनुसार इस समय हर ग्राम स्तर पर पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें सक्रिय रूप से कार्यरत हैं और किसी भी प्रकार की अफवाह या भड़काऊ गतिविधि पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
दोनों समुदायों से अपील
प्रशासन ने दोनों समुदायों से संयम बरतने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी गई है, और कोई भी भड़काऊ पोस्ट या वीडियो डालने वालों पर आईटी एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी।
नजरबंद लोगों की सूची में कौन-कौन शामिल
राजा उदय प्रताप सिंह के साथ जिन 12 अन्य लोगों को नजरबंद किया गया है, उनमें अधिकतर वे लोग हैं जो पिछले वर्षों में भंडारे या हनुमान चालीसा पाठ के आयोजनों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने इन नामों को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह सूची पुलिस के पुराने रिकॉर्ड और खुफिया इनपुट के आधार पर तैयार की गई है।
स्थानीय लोगों की राय बंटी
जहां एक ओर कुछ स्थानीय नागरिक प्रशासन के इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं और इसे शांति बनाए रखने की दिशा में उचित कदम मानते हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह नजरबंदी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। एक स्थानीय ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हर साल यह नजरबंदी होती है, जबकि आयोजन शांतिपूर्वक होता रहा है। यह सरकार की राजनीति का हिस्सा लगता है।”
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