याचिका को तत्काल सुनवाई से इनकार
मुख्य न्यायाधीश ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए तीखा सवाल किया, “क्या आप चाहते हैं कि याचिका को अभी खारिज कर दिया जाए?” इस पर नेदुमपारा ने कहा, “एफआईआर दर्ज होनी ही चाहिए, अब तो वर्मा भी यही चाहते हैं।” इस बयान के बाद सीजेआई ने उन्हें एक बार फिर शिष्टाचार बरतने की चेतावनी दी और कहा कि वे अभी भी जज हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?
नेदुमपारा की याचिका के अनुसार, 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक बंगले में आग लगने की घटना के बाद वहां के स्टोररूम से जली हुई नकदी बरामद हुई थी। उनका आरोप है कि दिल्ली पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि वह केंद्र सरकार के अधीन है। मई में सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर एक याचिका खारिज कर चुकी है, यह कहते हुए कि मामला इन-हाउस जांच के अधीन है और रिपोर्ट राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेज दी गई है। दूसरी ओर, जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इन-हाउस समिति की जांच को चुनौती दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि समिति ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया गया।
आवास में आग लगने के दौरान मिली थी नकदी
दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास में आग लगने के दौरान स्टोररूम में कथित रूप से जली हुई नकदी मिली थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इन हाउस जांच का आदेश दिया था। जांच कमेटी ने रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी है। इसी रिपोर्ट को लेकर जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप है कि जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया।
जस्टिस वर्मा ने दायर की है याचिका
समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, सोमवार को जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने दिल्ली पुलिस से एफआईआर दर्ज कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने पहले भी खारिज किया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा को केवल “वर्मा” कह दिया, जिस पर सीजेआई बीआर गवई ने नाराजगी जताई और उन्हें शिष्टाचार बरतने की सलाह दी। उधर, जस्टिस वर्मा ने जांच समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।