क्या हैं 6000 करोड़ के घोटाले के नए मामले?
ईडी सूत्रों के अनुसार, आरोप है कि AAP सरकार के दौरान दिल्ली में अस्पतालों के निर्माण के लिए आवंटित बजट में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां की गईं, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा शेल्टर होम (रैन बसेरा) योजना में बेघर लोगों के लिए बनाए जाने वाले शेल्टर होम्स की परियोजनाओं में भी ठेके देने, निर्माण की गुणवत्ता और व्यय को लेकर संदेह जताया गया है। जबकि राजधानी में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरा प्रोजेक्ट में उपकरणों की खरीद, इंस्टॉलेशन और भुगतान प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं के आरोप हैं।
क्या है अस्पताल घोटाले का मामला?
ईडी के अनुसार, 2018-19 में दिल्ली सरकार ने 24 अस्पतालों के निर्माण को मंजूरी दी थी, जिसमें आईसीयू सहित इन्फ्रास्ट्रक्चर छह महीने में तैयार होना था। लेकिन लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद केवल 50% कार्य ही पूरा हुआ। लोक नायक अस्पताल में निर्माण लागत 488 करोड़ से बढ़कर 1135 करोड़ तक पहुंच गई। ईडी का आरोप है कि कुछ परियोजनाएं बिना वैध स्वीकृति के शुरू की गईं। इस मामले में सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज की भूमिका की जांच की जा रही है।
सीसीटीवी घोटाले में क्या आरोप?
ईडी सूत्रों के अनुसार, साल 2019 में दिल्ली की तत्कालीन आम आदमी पार्टी की सरकार ने 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला लिया। जिसके लिए 571 करोड़ रुपये की परियोजना भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को दी गई, लेकिन तय समय पर काम पूरा नहीं हुआ और कंपनी पर 17 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरोप है कि उस समय के मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह जुर्माना माफ कर दिया और इसके बदले 7 करोड़ रुपये रिश्वत ली थी। इस पर एसीबी ने केस दर्ज किया।
डीयूएसआईबी घोटाला क्या है?
ईडी ने दावा किया है कि दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ। जांच में 207 करोड़ रुपये का फर्जी एफडीआर घोटाला और कोरोना काल में 250 करोड़ रुपये के फर्जी दस्तावेजों से कार्य दिखाने की बात सामने आई है। आरोप यह भी है कि नकली कर्मचारियों को वेतन देकर नेताओं को कमीशन दिया गया। इस प्रकरण की जांच सीबीआई और एसीबी दोनों कर रहे हैं।
कुल घोटाले की राशि
इन तीनों मामलों में ईडी ने प्राथमिक रूप से करीब 6,368 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का संदेह जताया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह घोटाला संभवतः कई चरणों में हुआ और इसमें निजी ठेकेदारों, सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेतृत्व की मिलीभगत का संदेह है। इसको लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट्स (ECIRs) दर्ज की है। यह रिपोर्ट FIR के बराबर है।
AAP नेताओं की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
दिल्ली में यह नया मामला आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है। इससे पहले भी दिल्ली शराब नीति मामले में AAP नेता ईडी और सीबीआई की जांच झेल रहे हैं। दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। इसमें सबसे प्रमुख है साल 2021-22 बनाई गई नई (liquor policy) शराब नीति। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। CAG की रिपोर्ट के अनुसार, AAP सरकार में बनी इस नीति में लाइसेंस शुल्क में नियमों की अनदेखी और को-वेंडरों को विशेष लाभ देने के आरोप हैं।
आम आदमी पार्टी पर पहले से चल रहे ये मामले
इस मामले में CBI और ED ने कई AAP नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया था। इसमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के खिलाफ जांच और चार्जशीट दाखिल की थी। यह सभी नेता फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। दिल्ली में AAP के खिलाफ भ्रष्टाचार का दूसरा बड़ा मामला स्कूलों में कक्षा निर्माण का है। स्कूलों में 12,748 कमरे बनाने की परियोजना में एसीबी ने 2,892 करोड़ रुपये खर्च में भारी अनियमितताओं का दावा करते हुए एक अनुमानित घोटाले (लगभग 2,000 करोड़) की FIR दर्ज की। इसमें मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन को समन जारी किया गया। इसके अलावा स्वास्थ्य एवं हॉस्पिटल परियोजनाओं में पूर्व मंत्री सत्येन्दर जैन व सौरभ भारद्वाज के खिलाफ भी एसीबी जांच मंजूर हुई
आम आदमी पार्टी का पक्ष
दिल्ली में AAP सरकार और नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए इन सभी मामलों में आम आदमी पार्टी का दावा है कि यह सभी मामले राजनीति से प्रेरित हैं। बिना ठोस सबूत आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा सरकार का कहना है कि दिल्ली भ्रष्टाचार का विरोध कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने खुद बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। BJP दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार जांच कराने की बात कह रही है। इन सभी मामलों से दिल्ली का सियासी पारा गरमा गया है।