क्या है F-35 फाइटर जेट ?
एफ-35 एक स्टेल्थ क्षमता से लैस अत्याधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो रडार से बचने में सक्षम है। यह जेट ब्रिटिश नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर ‘एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स’ का हिस्सा है। इसकी लागत और तकनीक दोनों ही इसे दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में शुमार करती हैं।
यह घटना क्यों बनी चर्चा का विषय ?
भारतीय एयरपोर्ट पर एक महीने तक खड़ा रहा दुनिया का सबसे हाईटेक फाइटर जेट। स्थानीय नागरिकों और मीडिया के लिए यह एक आकर्षण बना रहा। यह पहला मौका था जब एफ-35 जैसी मशीन भारत में इतनी देर तक रुकी। त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से रवाना हुआ ब्रिटिश एफ-35 लड़ाकू विमान एफ-35 फाइटर जेट ने चुकाया 5 लाख रुपये पार्किंग शुल्क।
तकनीकी खराबी के कारण भारत में एक महीना रुका ब्रिटिश फाइटर जेट। एयर इंडिया हैंगर में हुई एफ-35 जेट की मरम्मत। ब्रिटिश नौसेना का स्टेल्थ फाइटर जेट भारत से रवाना।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं तेज़
“भारतीय एयरपोर्ट से ब्रिटिश सेना के हाईटेक विमान का टेकऑफ, गर्व की बात है।” “5 लाख की पार्किंग? एयरपोर्ट अब मल्टीनेशनल प्लेयर्स से भी पैसे वसूल रहा है!” “इतनी लंबी रुकावट और तकनीकी समस्या, क्या एफ-35 उतना भरोसेमंद है जितना दावा किया जाता है?”
विदेशी विमान और सुलगते सवाल
क्या भारत अब एफ-35 जैसे जेट्स की देखरेख में सक्षम है ? क्या भारत के नागरिक हवाई अड्डे इतने उन्नत हो चुके हैं कि स्टेल्थ फाइटर जैसी टेक्नोलॉजी को सपोर्ट कर सकें? इस घटना से भारत की ग्राउंड टेक्निकल हैंडलिंग और इंटरनेशनल एविएशन में भूमिका पर क्या असर पड़ा?
भारत में ऐसे हाईटेक फाइटर के लॉजिस्टिक प्रबंधन पर चर्चा होगी ?
एयर इंडिया का हैंगर कितना एडवांस है?
क्या एयर इंडिया के मेंटेनेंस फैसिलिटी में इतने हाईटेक जेट की मरम्मत संभव थी या मजबूरी में इस्तेमाल हुआ? भारतीय इंजीनियरों की भागीदारी कितनी थी ? क्या मरम्मत में भारतीय टेक्नीशियन भी शामिल थे?
भारत में विदेशी सैन्य विमानों की लैंडिंग-सुरक्षा व डिप्लोमेसी
क्या ऐसी इमरजेंसी लैंडिंग भारत की छवि को मजबूत करती है? विदेशी विमानों के लिए भारतीय एयरपोर्ट्स पर चार्जिंग पॉलिसी क्या है? क्या 5 लाख रुपये की फीस स्टैंडर्ड है या स्पेशल है ?