बायोमेट्रिक पहचान की अनिवार्यता ने इन्हें ‘सिस्टम से बाहर’ कर दिया है। प्रशासन का दावा है कि बायोमेट्रिक फेल होने की स्थिति में तीसरा विकल्प (फोटो अपलोड आधारित प्रक्रिया) मौजूद है, लेकिन वह भी विफल साबित हो रहा है। चेहरे और अंगुलियों की पहचान बार-बार असफल हो रही है। चौथे विकल्प के नाम पर सिर्फ ‘कोशिश करते रहो’ जैसा जवाब मिल रहा है।
मेडिकल सर्टिफिकेट से बन जाएगा आधार
50 साल के अधिक उम्र के लोगों के लिए बायोमेट्रिक में गड़बड़ी आ रही है तो आंखों व चेहरे से पहचान की जा सकती है। इसके अलावा मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर आधार बन सकता है। 65 वर्ष के बुजुर्गों की 10 उंगलियों या फेस, आंखें जिसका भी सही आंकलन हो वह आधार बनाने उपयोग है। -संदीप चौरसिया, मैनेजर ई गवर्नेंस नर्मदापुरम
सिस्टम आंकड़ों में उलझा, समाधान नहीं
एक महीने में केवल 40 से 50 नए आधार कार्ड ही बन पा रहे हैं। वहीं 400 से 500 लोग हर महीने सुधार (जन्म तिथि, पता, मोबाइल आदि) के लिए आवेदन कर रहे हैं। अधिकांश वृद्धों के आवेदन बायोमेट्रिक फेल होने से रिजेक्ट हो रहे हैं।
यह है स्थिति
दीपिका यादव, माखन नगर निवासी, पिछले कई दिनों से प्रयास कर रही हैं। उनका फिंगरप्रिंट सिस्टम में कैप्चर नहीं हो पा रहा, जिससे आधार नहीं बन पा रहा। नारायण दास, मालाखेड़ी निवासी, एक हादसे में आंख की रोशनी गंवा चुके हैं। आंख का रेटिना स्कैन नहीं हो रहा, इसलिए उनका आवेदन बार-बार रिजेक्ट हो रहा है।