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जोधपुर

जैसलमेर से अधिक रेगिस्तानी बीकानेर, इन जिलों में बाढ़ का खतरा; CAZRI ने 46 साल बाद CS को भेजी जिलेवार रिपोर्ट

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने प्रदेश के कृषि जलवायु जोन को नए सिरे से परिभाषित करके रिपोर्ट तैयार की है।

जोधपुरJul 16, 2025 / 03:13 pm

Lokendra Sainger

CAZRI Report

गजेंद्र सिंह दहिया

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बहुत बड़े स्तर पर देखते हुए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने प्रदेश के कृषि जलवायु जोन को नए सिरे से परिभाषित करके रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें जोन पहले की तरह 10 ही रखे गए हैं, लेकिन जोन में आने वाले जिले और क्षेत्र बदल गए हैं।

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इससे कृषि नीति निर्धारण करने, फसल पैटर्न, सिंचाई, एमएसपी खरीद जैसे निर्णयों में बड़ा बदलाव आएगा। काजरी ने इसकी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजकर इसे नीतिगत तौर पर लागू करने का सुझाव दिया है। यह अध्ययन काजरी के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीवी सिंह ने किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 1979 में प्रदेश को 10 कृषि जलवायु जोन में बांटा था। रिपोर्ट के अनुसार अब जैसलमेर से अधिक रेगिस्तानी जिला बीकानेर है और जयपुर की जलवायु सीकर-झुंझनूं जैसी हो गई है।

पुराने बनाम नए एग्रोक्लाइमेटिक जोन

जोन / क्षेत्रपुराने क्षेत्र / जिलेनए प्रमुख जिले
पश्चिमी शुष्क क्षेत्रबाड़मेर, जोधपुर का कुछ हिस्साबाड़मेर, जालोर
सिंचित क्षेत्रश्रीगंगानगर, हनुमानगढ़श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़
शुष्क कुछ सिंचितबीकानेर, जैसलमेर, चूरूबीकानेर, चूरू
आंतरिक ड्रेनेज ड्राईजोननागौर, सीकर, झुंझुनूंसीकर, झुंझुनूं, जयपुर
लूणी बेसिन क्षेत्रजालोर, पाली, सिरोहीअजमेर, पाली, सिरोही शहर, रेवदर, शिवगंज
शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रनया जोनजोधपुर, नागौर, जैसलमेर
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रअलवर, धौलपुर, करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुरइन 5 के अलावा टोंक व अजमेर भी शामिल
उप-नमी युक्त क्षेत्रउदयपुर, सिरोही, भीलवाड़ा, चित्तौड़उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, सिरोही (केवल आबू रोड व पिण्डवाड़ा)
नमी युक्त क्षेत्रडूंगरपुर, बांसवाड़ाडूंगरपुर, बांसवाड़ा
नमी युक्त हाड़ौती क्षेत्रकोटा, झालावाड़, बारां, बूंदीकोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़

मोटे तौर पर यह हुआ बदलाव

  • टोंक व दौसा बाढ़ प्रभावित जोन में, अर्द्ध शुष्क क्षेत्र से निकल गए
  • जयपुर को सीकर व झुंझुनूं के साथ आंतरिक प्रवाह जोन में डाला
  • सिरोही दो जोन में बंटा, अब यहां मक्का क्षेत्र की अनुशंसा हो सकेगी
  • उदयपुर व चित्तौड़गढ़ चावल वाले क्षेत्र से निकल गए
  • नर्मदा नदी आने के कारण बाड़मेर-जालोर में एक जैसा क्लाइमेट, गोड़वाड़ से अलग किया
  • हाड़ौती क्षेत्र में प्रतापगढ़ जुड़ गया, यहां सरसों, सोयाबीन, ज्वार की खेती होगी
  • अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र जैसलमेर को अब जोधपुर और नागौर के साथ नए क्लस्टर में जोड़ा गया है।

क्यों है यह महत्वपूर्ण

राजस्थान की अधिकांश भूमि शुष्क और अर्ध-शुष्क है, जहां कृषि पूरी तरह से मौसमी वर्षा पर निर्भर है। जलवायु परिवर्तन के चलते पारंपरिक फसल चक्र प्रभावित हो रहे हैं, जिससे किसानों की आय और खाद्य सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में काजरी का यह वैज्ञानिक अध्ययन राज्य सरकार के लिए नीति निर्धारण का मजबूत वैज्ञानिक आधार बन सकता है।
डॉ. ओपी यादव, पूर्व निदेशक, काजरी

यह अध्ययन नीति-निर्धारण का नया खाका है। इससे कृषि विभाग, सिंचाई योजनाएं, बीज वितरण, फसल बीमा और अनुदान योजनाओं में बदलाव आएगा।

डॉ. पी सांतरा, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी

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