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झालावाड़

वेद-शास्त्रों के साथ पढ़ रहे अंग्रेजी और गणित, पुरोहिती में बनाएंगे कॅरियर

– क्यासरा डग में 45 बटुक यजुर्वेद और कर्मकांड की शिक्षा ले रहे

झालावाड़Jul 22, 2025 / 09:14 pm

harisingh gurjar


हरिसिंह गुर्जर


झालावाड़। जिले के डग स्थित क्यासरा गांव में गुरुकुल परंपरा के तहत वैदिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों की शिक्षा भी दी जा रही है। श्री कायावर्णेश्वर वेद विद्यापीठ में श्री शुक्ल यजुर्वेद शाखा का सात वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित है। जहां देशभर से आए 45 बटुक निशुल्क आवासीय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वेद -शास्त्रों के साथ यहां अंग्रेजी, गणित और सामाजिक विज्ञान की भी पढ़ाई होती है। ये विद्यार्थी भविष्य में पुरोहिती, अनुष्ठान, कर्मकांड और शास्त्रीय अध्ययन में कॅरियर बनाएंगे।

सुबह से दिनचर्या शुरू, कठोर अनुशासन


बटुक सुबह 4.30 बजे उठकर दैनिक दिनचर्या के बाद वंदना, व्यायाम,आरती और प्रार्थना करते हैं। सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक अध्ययन होता है। भोजन के बाद फिर से दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक कक्षाएं चलती हैं। यहीं दिनचर्या पूरे साल रहती है।

25 वर्षों से संचालित गुरुकुल


यह गुरुकुल पिछले 25 वर्षों से चल रहा है। यहां 12वीं तक की शिक्षा पूरी कर छात्र बीए, शास्त्री और अन्य डिग्रियों के लिए प्रवेश लेते हैं। गुरुकुल के आचार्य महादेव व्यास बताते हैं कि शुक्ल यजुर्वेद में कुल 40 अध्याय होते हैं, जिनमें संपूर्ण कर्मकांड और 16 संस्कारों की शिक्षा दी जाती है। संस्था के अध्यक्ष मोहनलाल व्यास हैं। वेदपाठ की शिक्षा आचार्य महादेव व्यास व अन्य गुरू देते है। यहां श्रुति परंपरा के अनुसार श्लोकों को गुरुमुख से सुनकर कठंस्थ कराया जाता है, जिससे वेदों की मौखिक परंपरा अक्षुण बनी रहें।

नि:शुल्क प्रवेश, ऑनलाइन आवेदन


यह पाठशाला पूरी तरह आवासीय और नि:शुल्क है। यहां 45 सीटों पर ऑनलाइन आवेदन के जरिए प्रवेश दिया जाता है। यह महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्डई उज्जैन से संबद्ध है। बोर्ड के प्रमाण.पत्र की मान्यता देशभर में 12वीं कक्षा के समकक्ष होती है।

संस्कार और मानवीय शिक्षा पर बल


पाठशाला में वैदिक ज्ञान के साथ नैतिकता, करूणा, प्रकृति के प्रति सम्मान और अनुशासित जीवनशैली का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। बच्चों को बुजुर्गों के सम्मान, पशु प्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व की शिक्षा भी दी जाती है।
” कायावर्णेश्वर महादेव तीर्थ पर स्थित वेदपाठशाला में वैदिक परंपरा को जीवंत रखने का कार्य हो रहा है। यहां देशभर से धर्मप्रेमी श्रद्धालु पहुंचते हैं और बटुकों का वेदपाठ सुन मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आज के समय में पुरोहित में कॅरियर का अच्छा विकल्प है। जिन विद्यार्थियों की संस्कृत में रूचि है, वह इस पाठशाला में प्रवेश लेकर अपना कॅरियर बना सकते हैं।
सुरेन्द्र कुमार जैन, शिक्षाविद् झालावाड़

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