बता दें कि बदलते सुरक्षा हालात में किसी भी चुनौती का सामना बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। इस पहल का मकसद जवानों को आधुनिक खतरों से निपटने के लिए ‘बैटल रेडी’ बनाना बताया जा रहा है।

60-60 जवान कर रहे स्पेशल ट्रेनिंग
सीआईएसएफ अधिकारियों के अनुसार, पहली बार पूरे बैच को सेना की विशेष यूनिट्स के साथ युद्ध कौशल की ट्रेनिंग दी जा रही है। देशभर से सीआईएसएफ के क्यूआरटी (क्विक रिस्पॉन्स टीम) जवानों को ही शामिल किया है। हर बैच में 60-60 जवानों को शामिल किया गया है। इनकी ट्रेनिंग की अवधि 1 महीने की होती है।
वर्तमान में दूसरा बैच चल रहा है। उन्हें घाटी में बड़े पैमाने पर सेना की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसमें जवानों को नाइट ऑपरेशन, जंगल युद्ध, क्लोज कॉम्बैट और घुसपैठ रोकने के गुर सिखाए जा रहे हैं। खास बात है कि पहले इस ट्रेनिंग का मौका कुछ चुनिंदा जवानों को ही मिलता था।

बॉर्डर और आतंकी हमले से निपटने को हो रहे तैयार
बताया जा रहा है कि भारतीय सेना और सीआईएसएफ के संयुक्त तत्वावधान में चल रही इस स्पेशल ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य सीआईएसएफ जवानों को जटिल और गंभीर खतरे वाली परिस्थितियों में भी कुशलतापूर्वक काम करने के लिए तैयार करना है।
साथ ही शहरी परिवेश में युद्ध नीति का अनुभव रखने वाले इन जवानों को अब बॉर्डर और आतंकी हमलों के लिहाज से तैयार किया जाना है, ताकि वे हर चुनौती से निपट सकें। भविष्य में इस एडवांस ट्रेनिंग के लिए सीआईएसएफ की अन्य यूनिट्स को भी शामिल किया जाएगा।
क्या कहना है अजय दहिया का
यह प्रशिक्षण जवानों को पारंपरिक सुरक्षा दायरे से आगे ले जाकर असामान्य खतरों से निपटने की नई क्षमता प्रदान करेगा। सेना के साथ तालमेल से न केवल रणनीतिक दक्षता बढ़ रही है, बल्कि जवान हर परिदृश्य में प्रभावी कार्रवाई के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से भी तैयार हो रहे हैं।
-अजय दहिया, उप महानिरीक्षक, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, सीआईएसएफ