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भारत में हर साल इस वजह से हो जाती हैं 7 लाख मौतें, आखिर क्यों बढ़ रहा है यह साइलेंट किलर?

Sudden Cardiac Arrest : एकदम स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति अचानक गिर जाए और फिर न उठे ऐसा अक्सर सडन कार्डियक अरेस्ट के कारण होता है। भारत में हर साल 7 लाख लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवाते हैं। यह हार्ट अटैक से भी ज्यादा खतरनाक है।

भारतJul 21, 2025 / 01:21 pm

Manoj Kumar

Sudden Cardiac Arrest

Sudden Cardiac Arrest (फोटो सोर्स: AI Image@Gemini)

Sudden Cardiac Arrest : क्या आपने कभी सुना है कि कोई व्यक्ति बिलकुल स्वस्थ दिख रहा था और अचानक गिर पड़ा फिर उठा ही नहीं? ऐसा अक्सर सडन कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) की वजह से होता है। यह सिर्फ हार्ट अटैक नहीं है बल्कि इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि भारत में हर साल 7 लाख लोगों की जान सडन कार्डियक अरेस्ट के कारण जाती है। यह आंकड़ा किसी भी बड़े खतरे से कम नहीं है और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर क्यों हमारा दिल अचानक हमें धोखा दे रहा है।

दिल की बीमारियां: एक बड़ा खतरा

कार्डियोवैस्कुलर डिसीज (CVDs) यानी दिल और रक्त वाहिकाओं से जुड़ी बीमारियां एक बड़ा समूह हैं जो अक्सर हमारी लाइफ स्टाइल से जुड़ी होती हैं। ये बीमारियां हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकती हैं।

आइए समझते हैं CVDs के कुछ मुख्य प्रकार:

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD): यह सबसे आम है। इसमें कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर उन्हें संकरा कर देता है जिससे दिल तक खून का बहाव कम हो जाता है।
हार्ट अटैक (Myocardial Infarction): जब दिल के किसी हिस्से में खून का बहाव अचानक रुक जाता है, तो उस हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वह डैमेज हो जाता है.

एंजाइना (Angina): यह सीने में होने वाला दर्द या असहजता है जब दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन वाला खून नहीं मिल पाता। यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है।
हार्ट फेलियर (Heart Failure): जब दिल शरीर में खून को प्रभावी ढंग से पंप करने में बहुत कमजोर या कठोर हो जाता है।

स्ट्रोक (Stroke): यह दिमाग में खून की नसों के ब्लॉक होने या फटने से होता है अक्सर हाई ब्लड प्रेशर या अनियमित दिल की धड़कन (Arrhythmias) के कारण।
सडन कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest – SCA): यह दिल के काम करने में अचानक आई रुकावट है। यह CAD या Arrhythmias के कारण हो सकता है और इसने कई सेलेब्रिटीज और युवाओं की जान ली है।
Sudden Cardiac Arrest: ये हैं, कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

खतरे की घंटी: आखिर क्यों बढ़ रहा है यह साइलेंट किलर? (Sudden Cardiac Arrest)

रिसर्च बताती है कि 2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) से होने वाली कुल मौतों में से 27% CVDs के कारण होती हैं। 2000 से 2024 तक के अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि 11% भारतीय वयस्क CVDs से पीड़ित हैं। शहरी इलाकों में तो यह प्रसार 12% तक है और महिलाएं भी इससे थोड़ी ज्यादा प्रभावित हो रही हैं।

इसके पीछे के मुख्य कारण क्या हैं? (Sudden Cardiac Arrest)

Sudden Cardiac Arrest
Sudden Cardiac Arrest (फोटो सोर्स : Freepik)
खराब खान-पान: जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा नमक-चीनी का सेवन।

शारीरिक निष्क्रियता: कम चलना-फिरना, एक्सरसाइज न करना।
लगातार तनाव: आधुनिक जीवनशैली का एक बड़ा अभिशाप।

धूम्रपान और शराब: ये दिल के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

मोटापा: बढ़ा हुआ वजन दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है।

डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर: ये दोनों ही दिल की बीमारियों का सीधा कारण बनते हैं।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत चतुर्वेदी का कहना है कि सडन कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के पीछे कई छिपे हुए कारण होते हैं। उनके मुताबिक, कई कार्डियक अरेस्ट के मामलों में किसी एक कारण का पता लगाना मुश्किल होता है। इसके पीछे कई कारण होते हैं लेकिन लाइफ स्टाइल , तनाव और खान-पान की आदतें एक अहम भूमिका निभाती हैं।

इलाज और बचाव: दिल की दवाएं और जागरूकता

आजकल दिल से जुड़ी बीमारियों की दवाएं जैसे ब्लड प्रेशर कम करने वाली, कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली (स्टेटिन), और एंजाइना में आराम देने वाली दवाएं काफी बिकती हैं। ये दवाएं दिल की अलग-अलग समस्याओं को एक साथ टारगेट करती हैं।
भारतीय आबादी की जीवन प्रत्याशा बढ़ी है और बढ़ती उम्र के साथ दिल की बीमारियों के मामले भी ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। बढ़ते मामलों के साथ-साथ अब हमारे पास बेहतर जांच के उपकरण भी मौजूद हैं।

तो क्या करें?

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: पौष्टिक आहार लें, नियमित व्यायाम करें, तनाव कम करें।

धूम्रपान और शराब छोड़ें: ये दिल के लिए जहर हैं।

वजन कंट्रोल करें: मोटापा कम करें।

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें: नियमित जांच करवाएं और दवाएं लें।
लक्षणों को पहचानें: सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें।

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