ग्वालियर का 1940-1953 का रिकॉर्ड ऑनलाइन
ग्वालियर का 1940 से 1953 के बीच का रिकॉर्ड ही ऑनलाइन है। इसके बाद का रिकॉर्ड तहसील व भू अभिलेख कार्यालय में बंधा रखा है। यदि किसी को अवलोकन करना है या फिर नकल लेनी है। इसके लिए लंबी प्रोसेस से गुजरना होता है। 1953 के बाद का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। ज्ञात है कि डिजिटलाइजेशन का कार्य ठेकेदार बीच में छोड़ गया था। इस कारण ग्वालियर के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन नहीं हो सका था। सरकार ने फिर से शुरुआत की है। रिकॉर्ड में हेराफेरी कर हड़पी हैं जमीनें
- ग्वालियर जिले में बड़ी संया में सरकारी जमीनों के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर हड़पा गया है। लैंड रिकॉर्ड में रखे दस्तावेजों में लोगों ने हाथ से एंट्री की। इस एंट्री के आधार पर न्यायालयों में दावा लगाए। खसरे में बिना सक्षम अधिकारी के एंट्री की गई।
- पुराना रिकॉर्ड ऑनलाइन होने पर हेराफेरी संभव नहीं होगी, क्योंकि खतौनी की कॉपी स्कैन रहेगी। टाइप कॉफी सर्वर में मौजूद रहेगी। रिकॉर्ड जनता के बीच रहेगा। इसे कोई भी देख सकता है।
डिजिटलाइजेश कार्य की स्थिति
कार्यालय – खसरा – जमाबंदी- नामांतरण पंजी
अभिलेखागार – 2000000 – 1800000 – 20000 रिकॉर्ड रूम – 420000 – 515000 – 750000 तहसील डबरा – 300000 – 970000 – 350000 भितरवार – 82225 – 122300 – 27530 चीनोर – 48341 – 122966 – 22566
(रिकॉर्ड रूम व तहसीलों के रिकॉर्ड को किया जाएगा स्कैन)
नामांतरण पंजी से मालिक के बदलाव की मिलती है जानकारी
नामांतरण पंजी एक रजिस्ट्रर होता है। जमीन के मालिक का बदलाव किया जाता है तो उसकी जानकारी नामांतरण पंजी से मिलती है। नामांतरण पंजी से नए व्यक्ति को मालिकाना हक के साथ-साथ कानूनी स्वामित्व भी मिलता है।
इन दस्तावेजों को किया जाएगा स्कैन
खसरा, जमाबंदी बी-1, नामांतरण पंजी, अधिकार अभिलेख, री नंबरिंग सूची, निस्तारक पत्रक, वाजिब जल अर्ज, सी-2 रजिस्टर को ऑनलाइन किया जाएगा। इनका स्कैन कोड भी रहेगा। जमाबंदी बी-1, जिसे खतौनी भी कहा जाता है। एक महत्वपूर्ण भूमि अभिलेख है, जो किसी विशेष भूमि के मालिक, उसके आकार, और उससे जुड़े अन्य अधिकारों और दायित्वों का विवरण प्रदान करता है। यह एक सहायक दस्तावेज है, जो खसरा (भूमि का मूल अभिलेख) की सहायता से बनाया जाता है और इसमें खातेवार विवरण शामिल होते हैं। यह भी ऑनलाइन होगी। सबसे ज्यादा लोगों को खसरा की जरूरत।
चतुर्थ फेस में डिजिटलाइजेशन किया जाएगा
ग्वालियर में चतुर्थ फेस में डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। एक फेस ढाई महीने का है। छह महीने बाद ही ग्वालियर का नंबर आएगा। ऑनलाइन होने पर रिकॉर्ड में कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाएगा। मुन्ना सिंह गुर्जरअधीक्षक भू अभिलेख