एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि इस इन्फोलाइन का मकसद था पुलिस से सीधे तौर पर न जुड़ पाने वाले लोगों से संपर्क साधना और उनकी मदद से अपराध व कानून व्यवस्था से जुड़ी सूचनाएं इकट्ठा करना। खास बात यह रही कि यह व्यवस्था 24×7 काम कर रही है, जिसमें तैनात 14 कर्मचारियों की तीन शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है।
एक क्लिक पर हर थाने की अपडेट
सभी नौ पुलिस सर्किलों के थानों को अलग-अलग क्यूबिकल में बांटकर काम किया जा रहा है। इन्फोलाइन की टीम ने स्थानीय व्यापारी, प्रधान, पत्रकार, धर्मगुरु, चिकित्सक, पुलिस पेंशनर्स और सभासद जैसे प्रभावशाली लोगों से तीन बार संवाद कर जरूरी जानकारी जुटाई। हर सूचना को संबंधित थाने और एसएसपी तक पहुंचाकर कार्रवाई सुनिश्चित कराई गई।
पांच महीने में पकड़ में आए 1194 सुराग
26 जनवरी से 15 जुलाई तक खाकी साथी इन्फोलाइन को कुल 1194 अहम सूचनाएं मिलीं, जिनमें अवैध शराब की 283, जुए की 156, मादक पदार्थों से जुड़ी 125, सट्टा की 125, गौ अधिनियम से जुड़ी 12, चाइनीज मांझा से संबंधित 10 और अन्य अपराधों से जुड़ी 209 सूचनाएं शामिल रहीं।
हर दिन औसतन 7.2 सूचनाएं
इन्फोलाइन की सबसे बड़ी ताकत यह रही कि यह औसतन हर दिन करीब सात से आठ अहम जानकारियां जुटा रही है, जिससे कानून व्यवस्था पर नजर रखने और अपराधियों पर शिकंजा कसने में खासी मदद मिली है। होली, ईद, रमजान, नवरात्र, मोहर्रम जैसे संवेदनशील मौकों पर इन्फोलाइन ने सूचनाएं जुटाकर पुलिस को समय रहते सतर्क किया और त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न कराए।
कमरे से कंट्रोल रूम तक पहुंची इन्फोलाइन
रिजर्व पुलिस लाइन के 16×12 फीट के वातानुकूलित कक्ष में तैयार खाकी साथी इन्फोलाइन में 10 क्यूबिकल, लैंडलाइन फोन, कंप्यूटर, प्रिंटर और आरामदायक कुर्सियों के साथ हाईटेक सिस्टम स्थापित किया गया है। करीब 3.5 लाख की लागत से बनी इस यूनिट की निगरानी खुद एसएसपी अनुराग आर्य प्रतिदिन करते हैं। पुलिस का मानना है कि खाकी साथी इन्फोलाइन ने न सिर्फ आम जनता को सिस्टम से जोड़ने का काम किया है, बल्कि अपराध के खिलाफ एक प्रभावी हथियार भी साबित हुआ है। इससे पुलिस और जनता के रिश्तों में भी नई गर्माहट आई है।