पढ़ाई के लिए जोखिम की मजबूरी
ग्रामीणों के अनुसार मुरकुट्टा में केवल प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा की सुविधा है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को दमोह या पाथरी भेजा जाता है। तब बच्चे और उनके माता-पिता इन्हीं खतरनाक पुलों और रास्तों से गुजरकर उन्हें स्कूल पहुंचाते हैं। बारिश में कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है कि बच्चों को जंगल और अंधेरे में भटककर रास्ता तलाशना पड़ता है।हादसे की आशंका
स्थानीय ग्रामीण पार्बती बाई, अकल सिंह, महतो सहित अन्य ने बताया कि यह मार्ग सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक जीवन रेखा है। लोग इसी रास्ते से मजदूरी, राशन, दवा, स्कूल, जनपद और अस्पताल तक पहुंचते हैं। हर दिन किसी न किसी काम से ग्रामीण को दमोह, बिरसा या पाथरी जाना होता है। लेकिन पुल की हालत ऐसी है कि कब हादसा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ग्रामीणों पुलों की मरम्मत या नए पुलो का निर्माण किए जाने की मांग की है।ग्रामीणों की मांगें
:- लहंगाकनार से मुरकुट्टा तक का मार्ग दुरुस्त किया जाए।:- तीनों पुलों का पुन: निर्माण हो।
:- वैकल्पिक मार्ग का समतलीकरण व पक्की सडक़ बनाई जाए।
:- समस्या को शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से प्राथमिकता में लिया जाए।
जब तक गांव में कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक अधिकारी नहीं आते। हमने विधायक से लेकर पंचायत तक आवेदन दिए, लेकिन सिर्फ आश्वान ही मिला।
अकल सिंह, ग्रामीण पुल को देखकर की अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुल कितना जर्जर है। हाईस्कूल न सहीं लेकिन पुल व सडक़ तो बनाई जा सकती है। जब कोई हादसा होगा तक अधिकारी ध्यान देंगे।
लवकुश उके, ग्रामीण