वहीं, एसीएम का तर्क है कि इस संबंध में किसी ने शायद फर्जी आदेश कर दिए हों, इसकी जांच कर रहे हैं। अलवर तहसील के नाहरपुर के अनुसूचित जाति के एक परिवार और ओबीसी के परिवार को सरकार ने दो दशक पहले करीब 8 बीघा जमीन आवंटित की थी।
बताते हैं कि इस जमीन का चार बीघा हिस्सा किसी सरकारी प्रोजेक्ट में आने के कारण उसे अवाप्त कर लिया गया। यह जमीन ओबीसी की थी। इसके बदले में मुआवजा दिया गया। अब बाकी बची चार बीघा अनुसूचित जाति की जमीन को ओबीसी वर्ग के नाम दर्ज करने के आदेश एसीएम कोर्ट की ओर से तहसीलदार अलवर को जारी किए गए हैं। तहसील प्रशासन इस मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। अब तक खातेदारी दर्ज नहीं की। तहसीलदार रश्मि शर्मा इस मामले में बोलने को तैयार नहीं हैं।
25 बीघा जमीन का आवंटन हुआ था निरस्त
सरिस्का टाइगर रिजर्व की 25 बीघा जमीन सीरावास में खातेदारी दर्ज करने के आदेश भी एसीएम सुनीता यादव ने ही जारी किए थे। बाद में एडीएम प्रथम मुकेश कायथवाल ने भी जारी कर दिए। इस मामले को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया तो खातेदारी निरस्त करने के आदेश दिए गए। राजस्व अपील अधिकारी कोर्ट में इस पर स्टे मिल गया। अब मामला रेवेन्यू बोर्ड में चल रहा है। यह आदेश क्यों अधिकारियों ने जारी किए, इसकी जांच कलक्टर आर्तिका शुक्ला कर रही हैं। सेक्शन 42 के तहत अनुसूचित जाति की जमीन किसी भी सूरत में ओबीसी या सामान्य वर्ग के नाम नहीं की जा सकती। यदि एससी के नाम जमीन पहले गलत दर्ज हो गई, उसे बाद में सही किया जा सकता है।
–अशोक कुद्दल, सीनियर एडवोकेट एससी की जमीन किसी अन्य वर्ग के नाम नहीं हो सकती। इसको लेकर जारी किए गए आदेश फर्जी हो सकते हैं। यह कोर्ट प्रकरण है। मैंने फाइलें मंगवाई हैं, इसकी जांच करके ही स्थिति का पता लग सकेगा।
–सुनीता यादव, एसीएम