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धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा यह एयरपोर्ट, एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी..

जापान में एक ऐसा एयरपोर्ट है जो धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा है। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं।

भारतJul 11, 2025 / 10:42 am

Tanay Mishra

Kansai Airport

Kansai Airport (Photo Kansai Airports’ social media)

दुनियाभर में क्लाइमेट चेंज (Climate Change) का असर दिख रहा है, जो चिंता की बात है। जापान (Japan) भी क्लाइमेट चेंज के प्रभाव से नहीं बच पाया है। जापान के एक बेहतरीन एयरपोर्ट पर क्लाइमेट चेंज का बड़ा असर दिख रहा है, जो समय के साथ बढ़ता जा रहा है। हम बात कर रहे हैं कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kansai International Airport) की। साल 1994 में खोला गया कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जापान की तकनीकी कल्पनाशीलता और इंजीनियरिंग प्रतिभा का प्रतीक माना जाता है। यह दुनिया का पहला एयरपोर्ट है जिसे पूरी तरह समुद्र के बीच बनाए गए कृत्रिम द्वीपों पर खड़ा किया गया। लेकिन अब इस एयरपोर्ट पर संकट छाया हुआ है।

धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा कंसाई एयरपोर्ट

कंसाई एयरपोर्ट को जिस सॉफ्ट सीबेड पर बनाया गया था, वो अब धीरे-धीरे धंस रहा है। बीते तीन दशकों में एयरपोर्ट का पहला द्वीप 13.6 मीटर, जबकि दूसरा 17.47 मीटर तक पानी के नीचे जा चुका है। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि अब भी यह हर साल 6 सेंटीमीटर तक बैठ रहा है और एयरपोर्ट धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा है।

एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी

कंसाई एयरपोर्ट के बारे में एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यदि इसके पानी में समाने की दर इसी तरह जारी रही, तो 2056 तक एयरपोर्ट का कुछ हिस्सा पूरी तरह से समुद्र के नीचे जा सकता है। यह चिंता का विषय है।

महंगा प्रोजेक्ट, बढ़ता दबाव

लगभग 20 अरब डॉलर की लागत से बने इस एयरपोर्ट का डिजाइन मशहूर आर्किटेक्ट रेंजो पियानो ने तैयार किया था। इसका 1.7 किमी लंबा टर्मिनल-1, दुनिया के सबसे लंबे टर्मिनलों में से एक है। निर्माण के समय इसे भविष्य की जरूरतों के अनुरूप टिकाऊ और लचीला माना गया था। लेकिन अब क्लाइमेट चेंज और समुद्री उतार-चढ़ाव इसके सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहे हैं।

2018 से चुनौतियाँ हुई उजागर

2018 में टाइफून जेबी के दौरान जब कंसाई एयरपोर्ट पर पानी भरा, तो इसके बुनियादी ढांचे की कमजोरियाँ उजागर हुईं। इसके बाद 150 मिलियन डॉलर का बचाव अभियान शुरू किया गया। इंजीनियरों ने 900 हाइड्रॉलिक जैक, सीवॉल्स और वर्टिकल सैंड ड्रेन्स जैसी तकनीकों से धंसाव को नियंत्रित करने की कोशिश की। 2024 तक औसत सालाना धंसाव को कई हिस्सों में 6 सेंटीमीटर तक सीमित करने में कुछ हद तक सफलता मिली।

उड़ानें जारी, लेकिन भविष्य अनिश्चित

2023 में कंसाई एयरपोर्ट ने 3.06 करोड़ यात्रियों को 91 शहरों तक पहुंचाया और इसे लगेज हैंडलिंग में विश्व का सर्वश्रेष्ठ एयरपोर्ट भी माना गया। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह एयरपोर्ट क्लाइमेट चेंज की लहरों को झेल पाएगा? कंसाई एयरपोर्ट का भविष्य सिर्फ उड़ानों का नहीं, जापान की टिकाऊ विकास नीति के लिए भी एक चुनौती बन गया है।

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