यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने बताया कि रूस के खिलाफ 18वें राउंड के प्रतिबंधों को मंजूरी दी गई है। यूक्रेन के हित में रूस को कमजोर करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है।
नए प्रतिबंध से इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर
यूरोपीय संघ ने इसे अब तक का सबसे कड़ा कदम बताया है। नए प्रतिबंध पैकेज का सीधा निशाना रूस के ऊर्जा, बैंकिंग और रक्षा उद्योग हैं। कल्लास ने आगे कहा कि यूरोपीय संघ ने नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों पर प्रतिबंध लगाने और रूसी तेल की कीमतों पर सीमा कम करने का भी फैसला किया है। रूसी ड्रोन और अन्य सैन्य तकनीक में इस्तेमाल होने वाले निर्यात पर कड़े नियंत्रण होंगे।
कल्लास ने आगे कहा कि हम रूस के सैन्य उद्योग, प्रतिबंधों से बचने में मददगार चीनी बैंकों पर और दबाव डाल रहे हैं और ड्रोन में इस्तेमाल होने वाली तकनीकी निर्यात को रोक रहे हैं।
भारत का लिया नाम
इस बार, यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों को यूरोप से बाहर भी बढ़ा दिया है। कल्लास ने बताया कि पहली बार, हम भारत में रूस की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी कंपनी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। यूरोपीय संघ ने रूस द्वारा यूक्रेनी बच्चों को जबरन स्थानांतरित करने और उन्हें अपने विचारों से प्रभावित करने में शामिल संगठनों के खिलाफ भी कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि हमारे प्रतिबंध उन लोगों पर भी असर डालते हैं, जो यूक्रेनी बच्चों को अपने विचारों से प्रभावित कर रहे हैं। हम हर तरह से रूस को चोट देते रहें।
नए कदम का किया गया स्वागत
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी इस फैसले का स्वागत किया और इसे रूस के युद्ध प्रयासों के खिलाफ एक कड़ा कदम बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि मैं रूस के खिलाफ हमारे 18वें प्रतिबंध पैकेज पर हुए समझौते का स्वागत करती हूं। हम रूस की युद्ध मशीन के मूल पर प्रहार कर रहे हैं, उसके बैंकिंग, ऊर्जा और सैन्य-औद्योगिक क्षेत्रों को निशाना बना रहे हैं और एक नई गतिशील तेल मूल्य सीमा भी शामिल कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ के इस नए कदम से रूस पर आर्थिक दबाव पड़ सकता है। इसका उद्देश्य उन सभी संभावित खामियों को दूर करना है जो रूस को तेल व्यापार, तृतीय-पक्ष बैंकों और शिपिंग के माध्यम से अपने युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद करती हैं।