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उदयपुर

सड़क से लेकर स्कूल तक: राजस्थान-गुजरात के विकास में ये रहे 10 बड़े अंतर, अपना प्रदेश पीछे क्यों?

राजस्थान के आदिवासी बहुल दक्षिणी क्षेत्र कोटड़ा की जमीन से कुछ कदम आगे गुजरात की सीमा है। इस आधे किलोमीटर के फासले में दो राज्यों की सरहद नहीं, बल्कि विकास, सुविधाओं और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का अंतर साफ नजर आएगा।

उदयपुरJul 19, 2025 / 09:59 am

Arvind Rao

Rajasthan News

पहले ऊपर-नीचे गुजरात की तस्वीरें और फिर राजस्थान की (फोटो- पत्रिका)

उदयपुर: उदयपुर जिले के कोटड़ा, बेकरिया और मामेर जैसे क्षेत्रों में आज भी सड़कें संकरी, पुल रपट जैसे हैं। स्कूलों में शिक्षक और कक्षाएं नदारद हैं। वहीं, गुजरात में चौड़ी सड़क, ऊंचे पुल, हर गांव में कंप्यूटर लैब, चिकित्सा और पीने के पानी की लाइनें पहुंच चुकी है।

नीते दिए गए 10 बिन्दुओं में जानिएं दोनों राज्यों की नीतियों का फर्क और विकास क्या है। इनमें सुविधाओं और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का अंतर साफ नजर आएगा।


सड़क कनेक्टिविटी


गुजरात में हाइवे की डबल पट्टी सड़कें यात्रियों का स्वागत करती है। इसके उलट कोटड़ा क्षेत्र में अधिकांश सड़कें सिंगल पट्टी की है। राष्ट्रीय राजमार्ग 957ए तो नाम का है।


चिकित्सा सुविधा


कोटड़ा, कुकावास, बेकरिया जैसे इलाकों में वर्षों से डॉक्टर और स्टॉफ के पद रिक्त हैं। वहीं, गुजरात के लांबडिया, ईडर जैसे इलाकों में सीएचसी अस्पतालों में 24 घंटे डॉक्टर मौजूद रहते हैं।


शिक्षा व्यवस्था


कोटड़ा के कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं, भवन एक-दो कमरों के हैं। कहीं बिजली नहीं, कंप्यूटर की बात तो दूर की है। गुजरात में दो-तीन मंजिला भवन, कंप्यूटर लैब, बिजली की सुविधा है।


सरकारी दफ्तर


कोटड़ा का उपखंड अधिकारी कार्यालय इतना पुराना है कि बरसात में पानी टपकता है। गुजरात के दफ्तरों में आलीशान भवन, पार्किंग, बैठने की सुविधा, डिजिटल काउंटर तक उपलब्ध है।


डिजिटल सेवाएं


कोटड़ा जैसे इलाके में नेटवर्क तक नहीं आता। ई-मित्र सुविधा भी नहीं है। गुजरात की पंचायतों में डिजिटल सेवा केंद्र, ऑनलाइन प्रमाण-पत्र और इंटरनेट सुविधा नियमित रूप से उपलब्ध है।


पुल और रपट


कोटड़ा-मांडवा में सेई नदी पर बना रपट इतना नीचा है कि हर बरसात में संपर्क टूट जाता है। वहीं, आधा किमी दूर गुजरात में ऊंचा और मजबूत पुल बना हुआ है। जहां बरसात में भी आवाजाही जारी रहती है।


पेयजल व्यवस्था


बेड़ाधर, सूरा, मणासीं, अशावाड़ा जैसे गांवों में लोग नदी-नालों में वेरी खोदकर पानी निकालते हैं। गुजरात में सामूहिक बोरवेल और पाइपलाइन से हर बस्ती में स्वच्छ पेयजल की सुविधा है।


ओडीएफ और स्वच्छता


राजस्थान के गांव नाममात्र के ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित हैं। शौचालय अधूरे और अनुपयोगी हैं। गुजरात के घर-घर में शौचालय है, जहां नियमित सफाई होती है।


बाजार और आर्थिक गतिविधि


कोटड़ा में साप्ताहिक हाट-बाजार में ही सारी खरीदारी होती है। व्यापारी स्थायी नहीं हैं। गुजरात में संगठित बाजार, मंडियां और छोटे-बड़े कॉम्प्लेक्स हैं।


रोजगार और स्किल सेंटर


राजस्थान के युवाओं के पास रोजगार के मौके बेहद कम हैं। गुजरात में गांव-गांव में स्किल सेंटर चल रहे हैं। जहां ट्रेनिंग के बाद स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल रहा है।

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