“इसका मतलब यह है कि पूरे नियांडरथल समुदाय में भी कई ऐसे समूह थे जिनकी चीजें करने की अपनी अलग आदतें थीं, चाहे वह जीवन बचाने से जुड़ी गतिविधियां ही क्यों न हों।”
जैलॉन और उनकी टीम ने 70,000 से 50,000 साल पुरानी अमूद गुफा से मिली 249 हड्डियों और 60,000 से 50,000 साल पुरानी केबारा गुफा से मिली 95 हड्डियों का अध्ययन किया।
हालांकि, केबारा गुफा में बड़े जानवरों जैसे जंगली बैल (ऑरॉक्स) की हड्डियां ज्यादा मिलीं। जैलॉन ने कहा कि यह भी संभव है कि अमूद गुफा में बड़े जानवरों को काटने का काम कहीं और किया गया हो।
अमूद और केबारा गुफाओं से क्रमशः 43 और 34 हड्डियों के निशानों का गहराई से अध्ययन किया गया। शोध में पता चला कि एक ही प्रकार के जानवर और एक ही अंग पर काम करने के बावजूद काटने की शैली अलग थी।
“जब हम सिर्फ गज़ेल की लंबी हड्डियों की तुलना करते हैं, तो अमूद की हड्डियों पर ज्यादा और आपस में क्रॉस होती कट मार्क्स हैं, जबकि सीधी लकीरों वाली कट मार्क्स कम हैं। कई निशान वक्र (curved) हैं।”
यूनीवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉ. मैट पोप, जो इस शोध से जुड़े नहीं थे, ने कहा –
“यह अध्ययन बताता है कि अलग-अलग नियांडरथल समूहों के औजार बनाने और उपयोग करने के अलग-अलग तरीके थे। ये कट मार्क्स सिर्फ निशान नहीं हैं, बल्कि नियांडरथल लोगों की हरकतों और जीवनशैली के संकेत हैं, जैसे गुफा की दीवार पर बने हाथों के निशान।”
“भविष्य में और शोध इन कारणों को बेहतर समझने में मदद करेंगे, लेकिन यह अध्ययन याद दिलाता है कि नियांडरथल कोई एकसमान संस्कृति नहीं थे। वे अलग-अलग समूहों में, अलग-अलग समय और जगहों पर, एक ही धरती पर रहते थे और उनके जीवन जीने के तरीके भी काफी अलग हो सकते थे।”