मंदिर परिसर की उत्तरी दीवार पर गणेश प्रतिमा के नीचे प्राकृत भाषा में अंकित एक शिलालेख भी मिला है, जो मंदिर की प्राचीनता का प्रमाण है। मान्यता है कि सूर्यवंशी राजाओं ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर:
बालेश्वर धाम पहाड़ियों के बीच हरियाली से आच्छादित क्षेत्र में स्थित है। यहां तक पहुंचने वाले रास्ते सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। मंदिर परिसर में शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
शिवलिंग की गहराई आज तक नहीं मापी गई
मंदिर में स्थापित शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि यह प्राकृतिक रूप से निर्मित है। मंदिर के पुजारी लीलाराम योगी बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने लगभग 400 साल पहले इस शिवलिंग की गहराई जानने के लिए खुदाई की थी, लेकिन 12.5 फीट नीचे जाने के बाद भी शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिला। खुदाई के दौरान मधुमक्खियों के हमले के कारण कार्य रोकना पड़ा।
ऐसे पहुंचें बालेश्वर धाम:
नीमकाथाना से बालेश्वर महादेव मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन नीमकाथाना है, जो दिल्ली, जयपुर और सीकर से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से मंदिर 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
अमृत कुंड भी रहस्य
मंदिर के पीछे गुलर के पेड़ की जड़ में स्थित एक कुंड रहस्य बना हुआ है। यहां से निरंतर जल प्रवाहित होता है। यह जल कहां से आता है, इसका अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है।