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रायपुर में 11 हजार सिकलसेल मरीज! धूल खा रहे जेनेटिक कार्ड, कुंडली मिलान जैसी होती है जांच प्रक्रिया..

CG News: रायपुर में सिकल सेल जैसी आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए बनाए गए जेनेटिक कार्ड जिला स्वास्थ्य कार्यालय में धूल खा रहे हैं।

रायपुरJul 21, 2025 / 12:03 pm

Shradha Jaiswal

रायपुर में 11 हजार सिकलसेल मरीज(photo-patrika)

रायपुर में 11 हजार सिकलसेल मरीज(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सिकल सेल जैसी आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए बनाए गए जेनेटिक कार्ड जिला स्वास्थ्य कार्यालय में धूल खा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बीमारी से पीड़ित लोगों की पूरी जानकारी का डेटा इस कार्ड में होता है।
जेनेटिक कार्ड को कुंडली की तरह मिलान करने पर इस बीमारी से पीड़ित युवक-युवतियों की शादी की जा सकती है या नहीं इसका भी पता किया जा सकता है। रायपुर जिले में 11000 से भी ज्यादा सिकल के मरीज हैं, जिनका उपचार चल रहा है। हैरानी की बात है कि इन मरीजों के लिए बनाए गए जेनेटिक कार्ड का वितरण अभी तक नहीं किया जा सका है। जेनेटिक कार्ड के लिए विभाग की ओर से किसी प्रकार का जागरुकता कार्यक्रम भी नहीं चलाया गया है।

CG News: यह है बीमारी…

डॉक्टर के अनुसार हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। यह बीमारी आनुवांशिक होती है, जो माता-पिता से बच्चों में आती है। इसमें गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबिन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं।
ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क व अन्य अंगों में रक्त के प्रवाह को बाधित करते हैं। इसके लक्षण खुन की कमी, थकान, भूख न लगना, बार-बार पेशाब आना, हड्डियों और पसलियों में दर्द, हाथ-पैरों में सूजन यह सब इसके लक्षण हैं।

इन राज्यों में मरीज

सिकलसेल से प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र आते हैं। इस जेनेटिक कार्ड को आधार कार्ड की तरह ही बनाया गया है। इसका पूरा नाम छत्तीसगढ़ सिकल सेल पहचान कार्ड ( जेनेटिक कार्ड) है। इसमें व्यक्ति का फोटो, नाम, पिता का नाम, पता, बल्ड ग्रुप, लिंग, जन्म तिथि, आभा नंबर, यूआईडी नंबर और जांच के परिणाम के साथ क्यूआर कोड दिया गया है।
वहीं कार्ड के पीछे की तरफ रोग की संभावना और इस स्थिति में शादी कर सकते हैं या नहीं इसकी जानकारी दी गई है। इसमें शादी के दौरान दोनों पक्ष कार्ड मिलाने के लिए एक के ऊपर दूसरा कार्ड रखते हैं, इसमें इस तरह से छिद्र बनाए गए हैं, जो कि रंग के अनुसार बता देते हैं कि लड़का-लड़की का विवाह हो सकता है या नहीं।

जो नए कार्ड आए हैं उनको बांटना बचा

सीएचएमओ रायपुर डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा की सिकलसेल की रोकथाम के लिए जैनेटिक कार्ड बनाए गए हैं। पुराने कार्ड बनकर आए थे उसे बांट दिया गया है। जो नए कार्ड आए हैं उनको बांटना बचा है।

डाटा से समझिए कितने मरीज

इस बीमारी का पता करने 0-40 उम्र तक के लोगों की जांच की जाती है। स्वास्थ विभाग के डाटा के अनुसार रायपुर जिले में 5 साल में 17,38,159 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इसमें 15, 73,070 लोग निगेटिव मिले हैं। वहीं 11063 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। जिनका इलाज किया जा रहा है।

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