रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 में कई योजनाओं पर भारी खर्च तो हुआ, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। रिपोर्ट के मुताबिक, विद्युत विभाग से जुड़े कामों में सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलावा कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि जल्दबाजी में स्काईवॉक परियोजना शुरू की गई थी।
CG Electricity: स्काईवॉक बना जल्दबाजी का सबक
कैग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में उपभोक्ता बिलिंग और संग्रहण दक्षता पर अनुपालन लेखापरीक्षा की। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 के दोरान उपभोक्ताओं को ऊर्जा वितरण के दौरान 9283.38 करोड़ के एमयू (मिलियन यूनिट) नष्ट हो गए। इससे कंपनी को 2157.15 करोड़ का राजस्व कम मिला। वहीं, अन्य कारणों के साथ खराब मीटरों को बदलने में हुई देरी से 1353.60 करोड़ के एमयू का नुकसान हुआ। 2.65 करोड़ की कम बिलिंग कर उपभोक्ताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। सब्सिडी की प्रतिपूर्ति नहीं करने से कंपनी को 2163.43 करोड़ का भार उठाना पड़ा।
जनता को बिजली का झटका
इसके अलावा कंपनी को 15.74 करोड़ का भी नुकसान उठाना पड़ा है। 31 मार्च 2022 की स्थिति में 301.83 करोड़ की राशि का समाधान नहीं हो सका है। कैग की रिपोर्ट में स्कॉईवॉक परियोजना का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि शासन ने यह योजना जल्दबाजी में शुरू की थी। तकनीकी मंजूरी मार्च 2017 में ली गई। जबकि निविदाएं दिसबर 2016 में आमंत्रित कर दी गईं। डिजाइन में बदलाव के कारण परियोजना की लागत में वृद्धि हुई और परियोजना पूरी होने में देरी हुई।
स्काईवॉक परियोजना बिना किसी उपयोगिता के अधूरी रह गई है। इससे 36.82 करोड़ का खर्च बेकार गया। हालांकि इस परियोजना पर शासन ने फिर से काम शुरू कर दिया है।
सिर्फ छह फीसदी युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा
रिपोर्ट के मुताबिक, शासन ने वर्ष 2022 तक 1.25 करोड़ कार्यशील आबादी को प्रमाणित कुशल तकनीशियन के रूप में प्रशिक्षित करने के लक्ष्य रखा है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण ने पूरे राज्य में वर्ष 2014-23 के दौरान 7,27,039 (छह प्रतिशत) उमीदवारों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के विपरीत 4,70,302 प्रशिक्षुओं (65 प्रतिशत) को ही प्रमाणित कर सका। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत, 17,504 के लक्ष्य के विपरीत केवल 8.481 (48 प्रतिशत) युवा सफलतापूर्वक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और परीक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं में से 3,312 (39 प्रतिशत) को नियोजित नहीं किया जा सका। 9 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन
प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं देने से प्रशिक्षु प्रभावित हुए तथा रोजगार और आजीविका प्राप्त करने का उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका।
वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान मरमत एवं रखरखाव, सामग्री आपूर्ति और औजार एवं उपकरण शीर्ष के अंतर्गत 1,358.53 लाख की निधियों का उपयोग जिला कलेक्टर द्वारा नहीं किया गया था और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में बजट नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से शासन को समर्पण कर दिया गया था।