कई बार
यात्रियों के पास लगेज की अधिकता या बुजुर्ग और बच्चों के साथ होने के कारण उनकी ट्रेन छूटने का खतरा भी रहता है। देर से चलने वाली कोई ट्रेन जब जंक्शन पर पहुंचती है तो निर्धारित समय की ट्रेनों को रोकना पड़ता है या तो उसके प्लेटफॉर्म में बदलाव करना पड़ता है। प्लेटफॉर्म के व्यस्त होने की स्थिति दिन में कई बार बनती है।
रायपुर जंक्शन पर गुरुवार को भी 5 ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदले गए। इसमें एक्सप्रेस के अलावा पैसेंजर ट्रेनें भी शामिल हैं। किसी ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर-3 तो किसी ट्रेन को 5 नंबर प्लेटफॉर्म पर लिया गया। इसी तरह 15 जुलाई को भी तीन पैसेंजर ट्रेनों को अलग-अलग प्लेटफॉर्म में लिया गया। रेलवे के अनुसार, इसकी वजह एक ट्रेन के पीछे दूसरी ट्रेेनों का होना, लेटलतीफी और रामलला दर्शन के लिए स्पेशल ट्रेन का लेट होना बताया जा रहा है।
70-80 हजार यात्री करते हैं सफर रायपुर जंक्शन प्रतिदिन 170 से ज्यादा यात्री और मालगाड़ी ट्रेनों का आना-जाना लगा रहता है। यहां से हर दिन करीब 70-80 हजार यात्री सफर करते हैं। इनकी संया हर साल बढ़ती जा रही है। इसके कारण स्टेशन पर यात्रियों का दबाव भी होता है। पूर्व में रायपुर जंक्शन पर 6 प्लेटफॉर्म थे। इनकी संया अब बढ़कर 7 हो चुकी है। यहां पैसेंजर समेत अन्य ट्रेनों को 7 नंबर प्लेटफॉर्म पर लिया जाता है।
इस तरह बदलते हैं प्लेटफॉर्म किसी प्लेटफॉर्म के व्यस्त होने की स्थिति में उस पर आने वाली ट्रेन को या तो आऊटर पर रोक दिया जाता है या उस ट्रेन के प्लेटफार्म में ट्रैफिक कंट्रोलर द्वारा बदलाव किया जाता है। ट्रैफिक कंट्रोलर आरआरआई कैबिन में तैनात सिग्नल एंड ट्रैफिक विभाग के अधिकारी को सूचना देता है। इसके बाद प्वॉइंट में बदलाव करने के साथ ही स्टेशन मैनेजर को सूचना दी जाती है। इसके अलावा कई बार किसी दुर्घटना या अन्य कारणों से भी ट्रेनों के प्लेटफॉर्म में बदलाव किया जाता है।
हर दिन नहीं बदलते प्लेटफॉर्म हर दिन ट्रेनों के प्लेटफार्म नहीं बदलते हैं। कई बार प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के खड़े होने से वह प्लेटफॉर्म व्यस्त हो जाता है। ऐसे में उसी समय दूसरी ट्रेन को दूसरे प्लेटफार्म पर लिया जाता है। इसकी जानकरी यात्रियों को अनाउंस करके दी जाती है।
- अवधेश त्रिवेदी, सीनियर डीसीएम, रायपुर मंडल