पहले प्रति मतदान केंद्र पर थी 1500 मतदाताओं की सीमा
यह कदम बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (SIR) के 24 जून के आदेश के अनुरूप उठाया गया है। पूर्व में प्रति मतदान केंद्र 1500 मतदाताओं की सीमा थी, जिसे अब घटाकर 1200 कर दिया गया है। यह फैसला मतदाता सूची में सटीकता और मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी सुगम हो सके।
राजनीतिक दलों को दी गई जिम्मेदारी
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी और बीएलओ ने 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन 29.62 लाख मतदाताओं की सूची साझा की, जिनके फॉर्म अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं। इसके अलावा, 43.93 लाख मतदाताओं की सूची भी दी गई, जो अपने पते पर नहीं मिले। सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने जिला अध्यक्षों और करीब 1.5 लाख बीएलए के माध्यम से इन मतदाताओं तक पहुंच बनाएं, ताकि कोई भी पात्र मतदाता मतदाता सूची से वंचित न रह जाए।
1 अगस्त से प्रकाशित होगी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट
1 अगस्त को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा, जिसके बाद आम नागरिक नाम जोड़ने, हटाने और सुधार के लिए अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए एक महीने का समय उपलब्ध रहेगा। निर्वाचन आयोग का लक्ष्य है कि सभी राजनीतिक दल और चुनावी तंत्र मिलकर एक मिशन मोड में कार्य करें, ताकि अंतिम मतदाता सूची से कोई भी पात्र व्यक्ति बाहर न रह जाए।
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की प्रगति
बिहार के कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 7,16,03,218 (90.67%) के गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं। इनमें से 7,08,59,670 (89.73%) डिजिटल फॉर्म में हैं। वहीं, 43,92,864 (5.56%) मतदाता अपने पते पर नहीं मिले, 16,55,407 (2.1%) मृत पाए गए, और 19,75,231 (2.5%) ने स्थायी रूप से स्थानांतरण किया है। इसके अतिरिक्त, 7,50,742 (0.95%) मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज मिले, जबकि 11,484 (0.01%) मतदाताओं का अब तक कोई पता नहीं चला है। अब तक 7,59,96,082 (96.23%) मतदाताओं का समावेश सुनिश्चित हो चुका है, जबकि 3.77% यानी 29,62,762 मतदाताओं के गणना प्रपत्र प्राप्त होने बाकी हैं।