सीजेआई ने दिए विशेष बेंच के गठन के आदेश
इस याचिका को आज ही सर्वोच्च न्यायालय में उठाया गया था और जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतागी, राकेश द्विवेदी और सिद्धार्थ लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की तरफ से मामले की वकालत की थी। सिब्बल ने सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने यह मामला पेश करते हुए कहा कि, इसमें कई संवैधानिक पहलू जुड़े है इसलिए हम आग्रह करते है कि इस याचिका पर सुनवाई के लिए जल्द बेंच गठित की जाए। सिब्बल के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने यह विशेष बेंच के गठन के आदेश दिए है, जिसके बाद मामले की तारीख तय की जाएगी।
कदाचार का दोषी पाए जाने पर किया था सुप्रीम कोर्ट का रुख
एक आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। इस रिपोर्ट में वर्मा को कैश कांड में कदाचार का दोषी ठहराया गया था। इसके बाद संसद ने सुप्रीम कोर्ट से वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था, जिसकी अनुमति तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दे दी थी। वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से पूर्व सीजेआई खन्ना की आठ मई को दी गई इस सिफारिश को रद्द करने का अनुरोध किया है।
इधर सांसदों ने महाभियोग लाने के लिए सौंपा लेटर
इसी बीच सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन कसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। राज्यसभा के 54 सांसदों ने भी हाई कोर्ट जज वर्मा के खिलाफ इस महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया था। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सांसदों के हस्ताक्षर किया गया यह ज्ञापन सौंपे जाने के बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्यवाही शुरु कर दी गई है।
क्या है कैश कांड
15 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में 500 रुपए के जले और अधजले नोट बरामाद किए गए थे। घटना के सामने आने के बाद से ही यह तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थी और जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे। हालांकि वर्मा ने इस पूरे मामले को साजिश करार दिया था। 22 मार्च को सीजेआई ने इस मामले में एक आंतरिक जांच शुरू की थी, जिसकी रिपोर्ट में वर्मा को दोषी पाया गया था।