Jagdeep Dhankhar Resignation: विवादों से घिरा रहा जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर, जानें उनसे जुड़े 5 विवाद
Jagdeep Dhankhar Resignation: जगदीप धनखड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से पूरी की और बाद में सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से पढ़ाई की। राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने वकालत के क्षेत्र में कदम रखा।
जगदीप धनखड़ ने अपने पद से दिया इस्तीफा (Photo-IANS)
Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को पूरा होने वाला था। 10 जुलाई को उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा। इस्तीफा देने के बाद उनके सियासी सफर के पुराने विवाद भी सामने आ गए है। धनखड़ उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान विपक्ष के निशाने पर रहे। इसके अलावा न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणियों को लेकर भी हमेशा चर्चाओं में रहे। आइए जानते हैं जगदीप धनखड़ से जुड़े पांच बड़े विवाद…
1. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में ममता बनर्जी के साथ टकराव
जगदीप धनखड़ 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। इस दौरान उनका हमेशा सीएम ममता बनर्जी से टकराव रहा। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ ने कई बार सीएम ममता बनर्जी और उनकी सरकार की आलोचना की है। धनखड़ ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और शासन की विफलता के आरोप लगाए। उनके इस रुख को विपक्ष ने पक्षपातपूर्ण माना, क्योंकि एक संवैधानिक पद पर रहते हुए उनकी टिप्पणियां सरकार के खिलाफ थीं।
2. उपराष्ट्रपति के रूप में विपक्ष के साथ तनाव
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ का विपक्षी दलों के साथ रिश्ता हमेशा तनावपूर्ण रहा। विपक्ष ने उन पर पक्षपात और सरकार के पक्ष में बोलने का आरोप लगाया। 2024 में विपक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, इस प्रस्ताव में विपक्ष ने उन्हें सरकार का प्रवक्ता कहा था।
3- किसानों की आलोचना
किसान आंदोलन के दौरान जगदीप धनखड़ ने किसानों की आलोचना की। उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर सड़कों पर बैठक कर राष्ट्र को बदनाम कर रहे है वे किसान नहीं है। जगदीप धनखड़ की इस टिप्पणी पर किसान संगठनों और खाप संगठनों ने आपत्ति जताई।
4- जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
जस्टिस वर्मा के घर पर कैश बरामदगी मामले में धनखड़ के बयान के बाद NJAC (National Judicial Appointments Commission) को लेकर बहस छिड़ गई। धनखड़ ने कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द नहीं किया होता तो बात कुछ अलग होती। बता दें कि NJAC को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर किया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर 2020 दिसंबर में भी धनखड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश संसद की संप्रभुता से समझौता है और जनादेश का अपमान है।
5- संवैधानिक संस्थानों और RSS पर टिप्पणियां
धनखड़ अपने कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संस्थानों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर अपनी टिप्पणियों के लिए भी चर्चा में रहे। उन्होंने RSS को वैश्विक थिंक टैंक और राष्ट्र निर्माण में निर्विवाद भूमिका वाला संगठन बताया, जिसे विपक्ष ने BJP के प्रति उनकी निष्ठा के रूप में बताया।
धनखड़ का राजनीतिक सफर
18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक जाट परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और कानूनी जीवन हमेशा चर्चा का विषय रहा है। जगदीप धनखड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से पूरी की और बाद में सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से पढ़ाई की। राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने वकालत के क्षेत्र में कदम रखा।
1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू लोकसभा सीट से सांसद चुने गए और 1990 में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बने। 1993-98 तक वे राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक रहे। धनखड़ ने अपने करियर में जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और बाद में 2003 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसे कई दलों के साथ काम किया। 2019 से 2022 तक वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 2022 में, वे भारत के 14वें उपराष्ट्रपति चुने गए, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से मुक्त नहीं रहा।
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