क्या है जस्टिस यशवंत वर्मा पर आरोप?
आपको बता दें कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर 14 मार्च 2025 की रात आग लगी थी। इस दौरान अग्निशमन विभाग के कर्मियों को उनके घर से कैश मिला था। आग में कई नोट जल भी गए थे। इस घटना का वीडियो भी सामने आया था। इसमें घर के स्टोर रूम में 500 रुपये जले नोटों के बंडल नजर आए। घटना के वक्त जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। हालांकि बाद में उनका इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।
जस्टिस वी. रामास्वामी (1993)
सुप्रीम कोर्ट के जज वी. रामास्वामी के खिलाफ 1993 में महाभियोग आया गया था। रामास्वामी को महाभियोग का सामना करने वाला पहला जज माना जाता है। जस्टिस रामास्वामी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इसके बाद राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ था, लेकिन लोकसभा में प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
जस्टिस सौमित्र सेन (2011)
14 साल पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था। जस्टिस सौमित्र पर धन का दुरुपयोग का आरोप लगा था। उनके खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया। इसके बाद लोकसभा में मामले पर विचार किए जाने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
जस्टिस एस.के. गंगेले (2015)
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस.के गंगेले को भी 2015 में महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। जस्टिस भंगेले पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। इन गंभीर आरोपों के बाद एक जांच कमेटी का गठन किया गया। लेकिन उनको दोषमुक्त कर दिया गया।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला (2015)
साल 2015 में गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस जे.बी पारदीवाला के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जस्टिम पारदीवाला ने आरक्षण पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उनको महाभियोग नोटिस दिया गया था। मामला ज्यादा बढ़ता देख जज ने विवादित पोस्ट को डिलीट कर दिया। इसके बाद यह प्रक्रिया रूक गई थी।
जस्टिस सी.वी नागार्जुन रेड्डी (2017)
आठ साल पहले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस सी.वी नागार्जन रेड्डी को भी महाभियोग से गुजरना पड़ा। जस्टिस नागार्जन रेड्डी के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि कुछ सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वापस ले लिया था और यह आगे नहीं बढ़ पाया।
जस्टिस दीपक मिश्रा (2018)
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI दीपक मिश्रा को खिलाफ साल 2018 में महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। हालांकि यह संसद में पास नहीं हुआ। राज्यसभा के सभापति ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।