विवाद हुआ शुरू, सोशल मीडिया पर बंटे रिएक्शन
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इसे धार्मिक पक्षपात करार देते हुए सवाल उठाए हैं। कुछ लोगों ने दिल्ली के एक पुराने मामले से तुलना की, जिसमें एक पुलिसकर्मी ने नमाज पढ़ रहे मुस्लिम युवक को लात मारी थी। दूसरी ओर, कई लोग डीएसपी ऋषिका की भावना और सेवा को भक्ति का प्रतीक बताते हुए उनकी प्रशंसा कर रहे हैं।
मानव सेवा ही भगवान की सेवा
विवाद के बीच खुद डीएसपी ऋषिका सिंह सामने आईं और वीडियो पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा – “उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि कांवड़ यात्रा में भाग ले रहे भक्तों की सुरक्षा और सेवा दोनों हो। जब हम खाकी पहन लेते हैं, तो जाति-धर्म नहीं देखते। हमारी ट्रेनिंग में ही सिखाया जाता है कि मानव सेवा ही भगवान की सेवा है। मैंने जो किया, वह मेरे मन से किया, मुझे इसके लिए कोई क्रेडिट नहीं चाहिए।”
उस रात सेवा का भाव मन में जागा: ऋषिका सिंह
ऋषिका ने बताया कि उनकी ड्यूटी उस रात शामली-मुजफ्फरनगर बॉर्डर पर लालूखेड़ी चौकी के पास थी। उन्होंने बताया – “वहां महिला कांवड़ियों की भारी भीड़ थी। मुझे लगा कि इतनी लंबी यात्रा में उनके पैरों में दर्द होता होगा। जब मैंने खुद कुछ महिला कांवड़ियों से पूछा तो उन्होंने भी यही बात कही। उसी समय मुझे सेवा का भाव आया और मैंने वही किया जो एक इंसानियत के नाते करना चाहिए था।”
तीन असफल प्रयासों के बाद बनीं DSP
डीएसपी ऋषिका सिंह वर्तमान में मुजफ्फरनगर के फुगाना सर्किल में तैनात हैं। उन्होंने 2022 में यूपीपीएससी की परीक्षा पास की और 80वीं रैंक हासिल कर डीएसपी बनीं। इससे पहले वह 2019 से लगातार तीन बार प्रयास कर चुकी थीं, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। 2021 में वह इंटरव्यू तक पहुंचीं लेकिन मेरिट में जगह नहीं बना पाईं। आखिरकार 2022 में उनका सपना साकार हुआ।